Jammu Kashmir में बाढ़ से हुए नुकसान पर बवाल, किसानों का दावा सरकार पेश कर रही गलत आंकड़ें

Jammu Kashmir में बाढ़ से हुए नुकसान पर बवाल, किसानों का दावा सरकार पेश कर रही गलत आंकड़ें

श्मीर वैली फ्रूट ग्रोअर्स और डीलर्स यूनियन के चेयरमैन बशीर अहमद बशीर ने डार की बातों को खारिज कर दिया है. उन्‍होंने कहा कि सरकार की तरफ से बताए गए आंकड़े बागवानी और कृषि, दोनों क्षेत्रों को हुए नुकसान का कम करके दिखाते हैं. उनका कहना था कि ये तब है जब ये दोनों ही सेक्‍टर जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार हैं.

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Jammu Kashmir में बाढ़ से हुए नुकसान पर बवाल, किसानों का दावा सरकार पेश कर रही गलत आंकड़ें जम्‍मू कश्‍मीर में इस बार मौसम ने दी किसानों को सबसे बड़ी चोट (फाइल फोटो)

जम्मू और कश्मीर सरकार ने हाल ही में बताया कि अगस्त और सितंबर में आई बाढ़ और हाईवे बंद होने के कारण बागवानी और कृषि क्षेत्रों को 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं किसान और व्यापारियों ने सरकार के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि इस प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ नुकसान इससे कहीं अधिक है और ये लगभग 2000 करोड़ रुपये तक पहुंचता है. आपको बता दें कि पिछले दिनों कृषि एवं बागवानी मंत्री जावेद अहमद डार ने अक्टूबर सत्र के दौरान विधानमंडल में कहा कि बाढ़ और हाईवे बंद होने के कारण बागवानी और कृषि क्षेत्रों को 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. 

केंद्र सरकार से राहत पैकेज की मांग 

डार ने बताया कि इसके लिए केंद्र सरकार से राहत पैकेज की मांग की गई है. सरकार के अनुसार, सितंबर में आई बाढ़ और भारी वर्षा, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से केंद्र शासित प्रदेश में 18,934 से अधिक रिहायशी ढांचों को नुकसान पहुंचा है. कृषि और बागवानी क्षेत्रों में फसली भूमि को हुए नुकसान का आंकड़ा 75,997.32 हेक्टेयर बताया गया है, जिसमें जम्मू डिविजन को सबसे ज्‍यादा मार झेलनी पड़ी है. मंत्री डार ने बताया कि कुल नुकसान 209 करोड़ रुपये का हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के मानकों के तहत जम्मू के प्रभावित किसानों को 52 करोड़ रुपये और कश्मीर घाटी में 1.91 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया है. 

लैंडस्‍लाइड से 600 करोड़ का घाटा 

वहीं कश्मीर वैली फ्रूट ग्रोअर्स और डीलर्स यूनियन के चेयरमैन बशीर अहमद बशीर ने डार की बातों को खारिज कर दिया है. उन्‍होंने कहा कि सरकार की तरफ से बताए गए आंकड़े बागवानी और कृषि, दोनों क्षेत्रों को हुए नुकसान का कम करके दिखाते हैं. उनका कहना था कि ये तब है जब ये दोनों ही सेक्‍टर जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार हैं. बशीर ने कहा कि उधमपुर में लैंडस्‍लाइड के चलते जम्मू–श्रीनगर नेशनल हाइवे 20 दिनों से ज्‍यादा समय तक बंद रहा. अकेले इस हाइवे के बंद होने से सिर्फ क्षेत्र को ही 600 करोड़ रुपये से ज्‍यादा का नुकसान हुआ है. 

धान किसानों को बड़ा नुकसान 

सितंबर में आई बाढ़ ने जम्मू क्षेत्र में फसलों और घरों को नुकसान पहुंचाया, जबकि कश्मीर घाटी में धान और सेब के खेत बुरी तरह प्रभावित हुए. सत्तारूढ़ पार्टी के पंपोर विधानसभा क्षेत्र के विधायक, जस्टिस (रिटायर्ड) हसनैन मसूदी, ने कहा कि उनके क्षेत्र में अकेले धान किसानों को 15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा, 'मैंने यह अनुमान मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया है.' उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत सरकार की ओर से राहत पैकेज प्रदान किया जाएगा. 

सरकार के अंदाजे से ज्‍यादा घाटा 

जाहूर अहमद राठर जो जम्मू और कश्मीर एप्पल फेडरेशन के अध्यक्ष हैं, ने कहा कि हाईवे बंद होने और मौसम की मार के कारण बागवानी क्षेत्र को हुआ नुकसान सरकार के अनुमान से कहीं ज्‍यादा है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में गर्मियों के दौरान ओलावृष्टि और भारी बारिश जैसी अति मौसम स्थितियों ने सेब और अन्य फसलों को नुकसान पहुंचाया. इसके बाद आई बाढ़ और हाईवे बंद होने ने इन नुकसानों को दोगुना कर दिया. राठर ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री की हालिया बैठक वित्त मंत्री के साथ हुई. इसमें राहत पैकेज के लिए इन सभी कारकों को ध्यान में रखा गया होगा. 

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