पंजाब में किसानों को मिले 70,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, किसान मजदूर मोर्चा ने किया विरोध प्रदर्शन

पंजाब में किसानों को मिले 70,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, किसान मजदूर मोर्चा ने किया विरोध प्रदर्शन

किसान मजदूर मोर्चा ने बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए तुरंत मुआवजा दिलाने को लेकर सोमवार को पंजाब में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया. किसान मजदूर मोर्चा ने मांग की कि सरकार बाढ़ के दौरान धान की फसल को हुए नुकसान के लिए किसानों को कम से कम 70,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दे.

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पंजाब में किसानों को मिले 70 हजार रुपये एकड़ मुआवजा, किसान मजदूर मोर्चा ने किया विरोध प्रदर्शनकिसान नेता सरवन सिंह पंधेर

कृषक संगठन किसान मजदूर मोर्चा ने सोमवार को पंजाब में बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए तत्काल मुआवजे की मांग को लेकर कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार की भी आलोचना की और अपने विरोध प्रदर्शन के तहत केंद्र सरकार और पंजाब सरकार के पुतले फूंके. किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि किसान राज्य में हाल ही में आई बाढ़ के दौरान हुए भारी नुकसान के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

किसानों के लिए रखी ये मांगें

  • किसान मजदूर मोर्चा ने मांग की कि सरकार बाढ़ के दौरान धान की फसल को हुए नुकसान के लिए किसानों को कम से कम 70,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दे. 
  • अमृतसर में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पंढेर ने कहा कि इसका 10 प्रतिशत खेतिहर मजदूरों को दिया जाना चाहिए. 
  • पंढेर ने पशुधन और पोल्ट्री फार्मों को हुए नुकसान के लिए भी 100 प्रतिशत मुआवजे की मांग की है. 
  • प्रदर्शनकारी किसानों ने यह भी मांग की कि बाढ़ के कारण जिन लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें पूरा मुआवजा दिया जाए.
  • उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार गेहूं की फसल की बुवाई के लिए बीज और उर्वरक उपलब्ध कराए. 
  • उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में कृषि क्षेत्रों में जमा रेत और गाद को हटाने के लिए किसानों को अधिक समय दिया जाना चाहिए.

पराली जलाने पर एक्शन बंद होना चाहिए

बता दें कि पंजाब को दशकों में आई सबसे भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा, जिसका मुख्य कारण सतलुज, व्यास और रावी नदियां उफान पर थीं, साथ ही हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण मौसमी नदियां भी उफन रही थीं. इसके अलावा, पंजाब में भारी बारिश ने बाढ़ की स्थिति को और भी बदतर बना दिया. इस दौरान पंढेर ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि किसानों पर पराली जलाने के लिए एफआईआर दर्ज की जा रही हैं, भूमि अभिलेखों में रेड एंट्रियां की जा रही हैं और जुर्माना लगाया जा रहा है. ये सब बंद होना चाहिए.

पराली प्रबंधन के लिए मिले 6,000 रुपये प्रति एकड़

किसान नेता पंढेर ने कहा कि राज्य सरकार को पराली प्रबंधन के लिए किसानों को 200 रुपये प्रति क्विंटल या 6,000 रुपये प्रति एकड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार पराली जलाने के लिए किसानों पर कार्रवाई बंद नहीं करती है, तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे. पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल - गेहूं - की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए पराली को जल्दी से हटाने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं. 

किसान मज़दूर मोर्चा के आह्वान पर, भारती किसान यूनियन (एकता आज़ाद), बीकेयू (क्रांतिकारी), बीकेयू (दोआबा) और किसान मजदूर हितकारी सभा सहित अन्य किसान संगठनों ने भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. (सोर्स- PTI)

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