उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ही नहीं बल्कि प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के द्वारा भी गौ आधारित प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देश के बाद राजभवन की 10 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक विधि से फलों,पौधों और सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है. राजभवन में प्राकृतिक विधि के साथ-साथ उन्नत तकनीकों का भी खेती में सफल प्रयोग किया जा रहा है. खेती के लिए लघु सिंचाई प्रणाली के साथ-साथ मचान विधि के द्वारा भी सब्जियों को उगाया गया है. यहां तक की स्ट्रॉबेरी पत्ता गोभी सहित टमाटर की खेती भी मल्चिंग विधि से की गई है. राजभवन की बागवानी में उन्नत किस्म की सब्जियों के साथ-साथ गुणवत्ता युक्त फलों का उत्पादन भी किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए प्राकृतिक विधि से खेती करने का मॉडल प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के द्वारा प्रस्तुत किया गया है. राजभवन के 10 एकड़ जमीन पर खेती और बागवानी को रहा गौ आधारित प्राकृतिक विधि से सफलतापूर्वक किया जा रहा है. देसी गायों की गोबर और गोमूत्र के माध्यम से जीवामृत, घन जीवामृत, दशपर्णी अर्क और ब्रह्मास्त्र के सफल प्रयोग से सब्जियों के साथ-साथ केला ,स्ट्रॉबेरी आम, अमरूद, बेल का भी उत्पादन किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के राजभवन में खेती के लिए लघु सिंचाई प्रणाली की ड्राप मोर का प्राप्त के सिद्धांत पर स्प्रिंकलर को स्थापित किया गया है. वहीं इस तकनीक से आलू ,स्ट्रॉबेरी और कई सब्जियों की खेती की जा रही है. इस प्रणाली से पानी की खपत में 30 से 40 फीसदी की बचत हो रही है. इसके साथ ही मचान विधि से लौकी ,टमाटर, तोरई, करेला, जैसी सब्जियों की खेती हो रही है. इस विधि से खेती करने पर उपज में 25 से 30 फीसदी का इजाफा हो रहा है.
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बागवानी में मल्चिंग विधि का सफल प्रयोग हो चुका है. इसके अलावा सब्जियों की खेती भी मल्चिंग विधि से राजभवन में की जा रही है. इस विधि से खेती करने पर मृदा के आवश्यक खनिज नष्ट नहीं होते हैं, जिससे सब्जियों के उत्पादन ज्यादा होता है. राजभवन में 30 माइक्रोन अल्ट्रावायलेट पॉलिथीन के प्रयोग से खरपतवार पर रोक लगी है तो वहीं सिंचाई के लिए पानी की खपत में भी कमी आई है. राजभवन में इस विधि से पत्ता गोभी ,आलू, स्ट्रॉबेरी और टमाटर की खेती की जा रही है.
उत्तर प्रदेश के राजभवन में वर्मी कंपोस्ट की इकाई स्थापित की गई है. प्रतिवर्ष 300 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन किया जाता है. वर्मी कंपोस्ट के प्रयोग राजभवन के उद्यान में किया जाता है. वर्मी कंपोस्ट से सब्जियों और फलों के उत्पादन पर भी असर पड़ा है.
देश के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा साकभाजी के क्षेत्र में विकसित हो रही किसानों को भी राजभवन में जगह दी जाती है. राजभवन के उद्यान में वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई उन्नत किस्मों के साथ-साथ देश के कृषि विद्यालयों के वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित सब्जियो की खेती की जा रही है. यहां तक यहां पर किसी भी तरह का कीटनाशक और रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है. राजभवन की उद्यान का खुद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के द्वारा समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाता है.
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