बाढ़ पीड़‍ितों की मदद के ल‍िए किसान ने अपनी धान की फसल पर क्यों चलवाया ट्रैक्टर, जानिए पूरी कहानी

बाढ़ पीड़‍ितों की मदद के ल‍िए किसान ने अपनी धान की फसल पर क्यों चलवाया ट्रैक्टर, जानिए पूरी कहानी

Paddy Farming: कुरुक्षेत्र के पिहोवा में एक क‍िसान ने अपनी पांच एकड़ जमीन में 20 द‍िन पहले लगाई गई धान की फसल पर इसल‍िए ट्रैक्टर चलवा द‍िया ताक‍ि उसमें बाढ़ पीड़‍ित क‍िसानों की मदद के ल‍िए धान की नर्सरी डाली जा सके. 12 क्व‍िंटल धान की नर्सरी डाली गई है. दावा है क‍ि इससे 500 एकड़ में रोपाई हो जाएगी.

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बाढ़ पीड़‍ितों की मदद के ल‍िए किसान ने अपनी धान की फसल पर क्यों चलवाया ट्रैक्टर, जानिए पूरी कहानीधान की फसल पर ट्रैक्टर चलवाकर डाली गई नर्सरी (Photo-Kisan Tak).

हर‍ियाणा के बाढ़ पीड़ित क‍िसानों की मदद के ल‍िए कुरुक्षेत्र के एक क‍िसान ने बड़ा द‍िल द‍िखाया है. उसने पांच एकड़ में रोपी गई अपनी फसल को ट्रैक्टर से नष्ट करवाकर उसमें नर्सरी के ल‍िए धान की ब‍िजाई कर दी है. ज‍िसे सामान्य तौर पर धान की पौध बोलते हैं लेक‍िन हर‍ियाणा में इसे धान की पनीरी के तौर पर जाना जाता है. अब से 18 से 21 द‍िन बाद यह नर्सरी तैयार हो जाएगी, ज‍िसे बाढ़ पीड़ित क‍िसान मुफ्त में ले जाकर अपने खेत में दोबारा रोपाई कर सकते हैं. यह दर‍ियाद‍िली यहां के पिहोवा कस्बे के क‍िसान गुरलाल अस्मानपुर ने द‍िखाई है. आज के दौर में जहां लोग अपने खेत का एक भी पौधा खराब नहीं होने देना चाहते वहीं पर उन्होंने पांच एकड़ में 20 द‍िन पहले रोपे गए धान पर ट्रैक्टर चलवाकर उसे दूसरे क‍िसानों की नर्सरी के ल‍िए खाली कर द‍िया.

दरअसल, यह क‍िसान भारतीय क‍िसान यून‍ियन (चढूनी) से जुड़ा हुआ है. खेत क‍िसान का है और बीज यून‍ियन की ओर से द‍िया गया है. पांच एकड़ में 12 क्व‍िंटल धान की नर्सरी डाली गई. दावा है क‍ि इतनी नर्सरी से करीब 500 एकड़ खेत में धान की नर्सरी की रोपाई हो जाएगी. क‍िसान ने अपना कम से कम 4 लाख रुपये का नुकसान करके दूसरे क‍िसानों के भले के ल‍िए काम क‍िया है. यहां पर जो नर्सरी तैयार होगी उसे बाढ़ पीड़‍ितों को मुफ्त में द‍िया जाएगा. रव‍िवार को यून‍ियन के सदस्यों ने नर्सरी डालने के ल‍िए खेत तैयार करवाया और उसमें बीज डाला. हर कोई इस क‍िसान की दर‍ियाद‍िली की तारीफ कर रहा है. इस क‍िसान के पास 20 एकड़ जमीन बताई जाती है. 

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बाढ़ से चौपट हुई खेती 

हर‍ियाणा के 11 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. इनमें पंचकूला, अंबाला, कैथल, फतेहाबाद, करनाल, पानीपत, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, फरीदाबाद और पलवल शाम‍िल हैं. ज‍िनमें अचानक आए पानी से हजारों एकड़ में खेती बर्बाद हो गई है. ये धान की खेती का बेल्ट है. ज‍िनमें रोपाई लगभग पूरी हो चुकी थी. लेक‍िन, बाढ़ का पानी अपने साथ क‍िसानों की मेहनत बहा ले गया. कई क‍िसानों के सामने दोबारा धान की रोपाई करने के ल‍िए पैसे का संकट आ गया है. ऐसे में अपने तैयार खेती पर ट्रैक्टर चलवाकर पीड़‍ित क‍िसानों के ल‍िए नर्सरी डलवाने वाले क‍िसान को एक सैल्यूट तो बनता ही है. अब दोबारा रोपाई से धान की खेती में देरी होगी, लेक‍िन काफी क‍िसानों को मुफ्त में पौध म‍िल जाएगी, जो उनके ल‍िए बड़ी राहत होगी.  

बाढ़ पीड़‍ित क‍िसानों के ल‍िए डाली गई धान की नर्सरी (Photo-Kisan Tak).

क‍िस क‍िस्म की हुई ब‍िजाई, क्यों है खास 

भाकियू (चढूनी) पिहोवा की टीम ने PR-126 धान की नर्सरी लगाई है. दरअसल, यह जल्दी पकने वाली धान की किस्म है. यानी दोबारा रोपाई की वजह से जो देरी होगी उसे यह कवर कर लेगी. रोपाई के बाद लगभग 93 दिन में ही यह पक कर तैयार हो जाती है. कम स‍िंचाई की जरूरत कम होती है. कम अवधि की फसल होने की वजह से पीआर 126 कीटों और बीमारियों से बच जाती है, जिससे खेती की लागत कम होती है. इसकी उपज 25 से 37 क्विंटल प्रति एकड़ के बीच है.  

मुफ्त रहेगी नर्सरी, इन नंबरों पर करें संपर्क

यून‍ियन ने कहा है क‍ि यह पनीरी बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए पूरी तरह मुफ्त रहेगी. जिस भी साथी को जरूरत हो वो यून‍ियन में पिहोवा ब्लॉक के प्रधान जोगिंदर काजल से उनके मोबाइल नंबर (9050022033) और युवा व‍िंग के प्रधान सुखविंदर खंगुरा से उनके मोबाइल नंबर (9729811992) पर संपर्क कर सकता है. क‍िसान संगठन ने सरकार से भी मांग की है क‍ि वो जल्द से जल्द बाढ़ पीड़‍ित क‍िसानों को मुआवजा दे. 

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