प्याज एक्सपोर्ट पर लगाए गए न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को हटाने और एक्सपोर्ट ड्यूटी आधा करने के बाद प्याज के थोक दाम में उछाल आ गया है. देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र की मंडियों में इसका थोक दाम 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. कुल मिलाकर चुनावी सीजन में किसानों की बल्ले-बल्ले हो गई है. महाराष्ट्र के किसानों का कहना है कि अगर उन्होंने लोकसभा चुनाव में एकता न दिखाई होती तो विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार उन्हें राहत नहीं देती. केंद्र सरकार के इस फैसले से बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों को आने वाले विधानसभा चुनाव में फायदा होगा या नहीं...इसकी जानकारी तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही सामने आएगी, लेकिन इतना तय है कि कुछ किसानों को फायदा मिल रहा है.
केंद्र सरकार ने प्याज के दाम को कंट्रोल में रखने के लिए अगस्त 2023 में 40 परसेंट एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी थी. जबकि एक्सपोर्ट बैन खोलने के दिन 4 मई 2024 को 550 डॉलर प्रति टन की एमईपी की शर्त भी लगा दी थी. किसान और एक्सपोर्टर इन दोनों शर्तों का विरोध कर रहे थे. उनका तर्क था कि इन शर्तों के कारण भारत से निर्यात होने वाले प्याज का दाम पाकिस्तान और दूसरे उत्पादकों के मुकाबले ज्यादा है. ऐसे में हमसे सस्ता प्याज बेचने वाले देश हमारे पारंपरिक अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर कब्जा कर रहे हैं. सरकार को यह सब समझ में आया लेकिन काफी देर से.
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सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार को महाराष्ट्र से ऐसा फीडबैक दिया गया है कि विधानसभा चुनाव में प्याज उत्पादक किसान सत्ताधारी पार्टियों को रुला सकते हैं. इसलिए 13 सितंबर को न सिर्फ एमईपी पूरी तरह से हटा दी गई बल्कि एक्सपोर्ट ड्यूटी घटाकर 20 फीसदी कर दी गई. डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने लोकसभा चुनाव के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह माना था कि प्याज एक्सपोर्ट बैन करने से पार्टी को नुकसान हुआ है. जबकि दूसरे डिप्टी सीएम अजित पवार ने एक्सपोर्ट बैन करने के लिए माफी मांगी थी.
बहरहाल, राजनीति की बात अलग करके अभी दाम का ट्रेंड समझ लेते हैं. महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 16 सितंबर को राज्य की 20 मंडियों में प्याज की ट्रेडिंग हुई. जिसमें से 16 मंडियां ऐसी रहीं जिनमें न्यूनतम दाम भी 2000 रुपये प्रति क्विंटल और उससे अधिक रहा. जबकि 12 मंडियों में अधिकतम दाम 5000 रुपये प्रति क्विंटल और उससे अधिक रहा.
सोलापुर जिले की मंगलवेढा मंडी में तो अधिकतम थोक दाम 6000, औसत दाम 5200 और न्यूनतम दाम 2000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि सरकार द्वारा एक्सपोर्ट ड्यूटी में कटौती और एमईपी खत्म करने के फैसले के बाद प्याज के थोक भाव में 2 से 3 रुपये प्रति किलो की तेजी आई है.
हालांकि, दिघोले का कहना है कि इस फैसले का राजनीतिक लाभ मिलने की संभावना काफी कम है, क्योंकि ज्यादातर किसान कौड़ियों के भाव पर प्याज बेच चुके हैं. उनके पास अब प्याज बचा नहीं है. किसानों को पता है कि यह फैसला चुनाव को देखकर लिया गया है. जब प्याज का भाव सिर्फ 3000 रुपये प्रति क्विंटल था तब सरकार ने 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी थी और जब 3500 का रेट हुआ तब एक्सपोर्ट बैन कर दिया था.
आज 4000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल तक का थोक दाम है उसके बाद भी सरकार एक्सपोर्ट बैन नहीं कर रही है. यहां तक कि एमईपी हटा रही है और एक्सपोर्ट ड्यूटी में 50 फीसदी कटौती कर रही है. यह सब किसानों के वोटिंग पैटर्न की वजह से हो रहा है. लोकसभ चुनाव में प्याज उत्पादक किसानों ने बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों को बड़ा झटका दिया था. इसलिए किसान सरकार के इस फैसले से पिघलने वाले नहीं हैं. जिन लोगों की वजह से प्याज उत्पादक किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ है उन्हें चुनाव में 'वोट की चोट' जरूर मिलेगी.
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