Wheat Procurement: गेहूं की एमएसपी के भुगतान ने बनाया र‍िकॉर्ड, 75 फीसदी रकम हर‍ियाणा-पंजाब को म‍िली

Wheat Procurement: गेहूं की एमएसपी के भुगतान ने बनाया र‍िकॉर्ड, 75 फीसदी रकम हर‍ियाणा-पंजाब को म‍िली

सरकार को गेहूं बेचने के बदले पंजाब के क‍िसानों को 28 मई तक 27,477 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है. इस मामले पर दूसरे नंबर पर हरियाणा है, ज‍िसे 14003 करोड़ रुपये मिले हैं. यही दोनों राज्य सेंट्रल पूल यानी बफर स्टॉक के लिए सबसे ज्यादा गेहूं का योगदान देते हैं. भारत की खाद्य सुरक्षा में इन दोनों का अहम योगदान है.

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Wheat Procurement: गेहूं की एमएसपी के भुगतान ने बनाया र‍िकॉर्ड, 75 फीसदी रकम हर‍ियाणा-पंजाब को म‍िलीगेहूं की क‍ितनी हुई सरकारी खरीद.

केंद्र सरकार ने किसानों को गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान करने का पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. अभी कुछ सूबों में खरीद प्रक्रिया एक महीने और चलेगी, इसके बावजूद सरकार ने किसानों को पिछले साल से अधिक रकम का भुगतान कर दिया है. पिछले साल यानी रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के दौरान पूरे सीजन में 260.71 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद पर 53456.21 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था, जो इस साल (2024-25) अब तक 263.27 लाख टन खरीद के बदले 55041.59 करोड़ रुपये हो चुका है. इससे पहले 2022-23 में स‍िर्फ 187.49 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा गया था और उसके बदले स‍िर्फ 35,553 करोड़ रुपये का भुगतान क‍िया गया था.

बहरहाल, इस साल सरकार 2275 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर गेहूं की सरकारी खरीद कर रही है. जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में 125 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी मिल रहा है, जिसका भुगतान दोनों राज्य सरकारें अपने कोष से करेंगी. दोनों राज्य ज्यादा पैसा देने के बावजूद अपने खरीद से बहुत पीछे हैं.  

क‍िसे म‍िला सबसे ज्यादा लाभ 

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार इस साल गेहूं की एमएसपी के तौर पर सबसे ज्यादा पैसा पंजाब और हरियाणा को मिला है. दोनों सूबों के क‍िसानों को अब तक 41,479.91 करोड़ रुपये म‍िल चुके हैं, जो अब तक गेहूं की एमएसपी के तौर पर क‍िए गए भुगतान का 75 फीसदी से अध‍िक है. इन्हीं दोनों सूबों ने केंद्र के गेहूं भंडार को भरने में सबसे ज्यादा योगदान भाी द‍िया है. अब तक गेहूं उत्पादक प्रमुख 11 राज्यों ने कुल 263 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद की है, ज‍िसमें से 195 लाख टन यानी 74 फीसदी इन्हीं दो राज्यों का योगदान है. 

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क‍िस राज्य को क‍ितनी रकम म‍िली 

सरकार को गेहूं बेचने के बदले पंजाब के क‍िसानों को 28 मई तक 27,477 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है. इस मामले पर दूसरे नंबर पर हरियाणा है, ज‍िसे 14003 करोड़ रुपये मिले हैं. यही दोनों राज्य सेंट्रल पूल यानी बफर स्टॉक के लिए सबसे ज्यादा गेहूं का योगदान देते हैं. भारत की खाद्य सुरक्षा में इन दोनों का अहम योगदान है. सरकार बफर स्टॉक के ल‍िए जो गेहूं खरीदती है उसे ही सार्वजन‍िक व‍ितरण प्रणाली (PDS) के जर‍िए 80 करोड़ गरीबों में बांटा जाता है. उसमें से ही कुछ अनाज संकट काल के ल‍िए भी रखा जाता है. 

ब‍िहार में स‍िर्फ 21 करोड़ का भुगतान 

इसी तरह मध्य प्रदेश के क‍िसानों को 9706.98 करोड़, राजस्थान के क‍िसानों को 2062.71 करोड़, उत्तर प्रदेश को 1766.10 करोड़ और ब‍िहार को 20.62 करोड़ रुपये का भुगतान म‍िला है, क्योंक‍ि खरीद ही स‍िर्फ 9,899 मीट्र‍िक टन हुई है. इस साल देश के 36,95,274 लाख क‍िसानों ने गेहूं बेचने के ल‍िए रज‍िस्ट्रेशन करवाया है, लेक‍िन अब तक स‍िर्फ 20,81,471 क‍िसानों ने ही ब‍िक्री की है. ज‍िसमें से 18,84,225 क‍िसानों को भुगतान म‍िल चुका है. 

हर‍ियाणा-पंजाब के क‍िसानों ने तो एमएसपी पर गेहूं बेच द‍िया है, लेक‍िन बाकी राज्यों में स्थ‍ित‍ि थोड़ी अलग है, क्योंक‍ि वहां क‍िसानों को सरकारी रेट से अध‍िक भाव म‍िल रहा है. कई राज्यों में गेहूं का दाम 2500 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच गया है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में एमएसपी के ऊपर 125 रुपये का बोनस देने के बावजूद खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है.  

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