हर्रा भारत में प्रसिद्ध एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी वाला पौधा है. ये पौधा भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस पौधे को कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. यह हमारे स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक होता है. हर्रा का पौधा सदियों से हमारी चिकित्सा पद्धति में उपयोग किया जा रहा है. इस पौधे का वैज्ञानिक नाम टर्मिनालिया चेबुला (Terminalia chebula) है. भारत में इसे हर्रा, हरीतकी या हरड़ के नाम से जाना जाता है. आपको बता दें कि हर्रा में इतने तरह के गुण होते हैं कि अगर इंसान इसका सीमित मात्रा में इस्तेमाल करे तो वह कई बीमारियों से मुक्त हो सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं किस काम आता है हर्रा का पौधा, कैसे करें इसकी खेती?
हर्रा का पौधा कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. दरअसल, हर्रा के फल को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है, जिसे लोग अपनी दिनचर्या में अलग-अलग रोगों और समस्याओं के उपचार के लिए उपयोग करते हैं. यह पेट से संबंधित समस्याओं, जैसे कब्ज और अपच, के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है. हर्रा को आमतौर पर ‘त्रिफला’ नामक आयुर्वेदिक दवा में भी इस्तेमाल किया जाता है, जो आंवला, बहेड़ा और हर्रा का मिश्रण होता है. यह सेहत के लिए बेस्ट होता है और शरीर को ताजगी देने में मदद करता है.
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हर्रा या हरड़ एक चमत्कारिक औषधि है जिसके अनेक फायदे हैं. हालांकि, यह जरूरी है कि आप इसका सेवन सही मात्रा में और सही तरीके से करें. हर्रा के इस्तेमाल से पाचन में सुधार होता है, त्वचा में निखार लाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है. हर्रा मुंह के छाले के लिए भी फायदेमंद होता है. इसके अलावा ये शरीर को उर्जा देता है. साथ ही बालों को मजबूत बनाने में भी हर्रा लाभदायक है.
हर्रा का पौधा भारत में प्रचीन समय से ही उपयोग होता आ रहा है. चाहे वह आयुर्वेदिक दवा के रूप में हो या घरेलू उपचार में. ऐसे में अगर आप इसकी खेती करना चाहते हैं तो इसके पौधे को गड्ढे तैयार करके लगाएं. इसकी खेती किसी भी मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. पौधे को अच्छी तरह से जलीय मिट्टी में लगाएं और उसे अच्छे से पानी दें. आपको बता दें कि हर्रा के पौधे को ज्यादा धूप और अच्छी हवा चाहिए होती है. अगर खेत में न लगाकर इसे गमले में भी उगा सकते हैं.
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