फसल विविधीकरण का किसान को मिला फायदा, सिर्फ बीज और जुताई का लगा पैसा, 65000 मुनाफे का गणित समझिए

फसल विविधीकरण का किसान को मिला फायदा, सिर्फ बीज और जुताई का लगा पैसा, 65000 मुनाफे का गणित समझिए

फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को अपनाते हुए यूपी के प्रगतिशील किसान ने धान की बजाय बाजरा की खेती की है, जिसमें उन्हें सिर्फ बीज और खेत की जुताई का खर्च आया है. 30 क्विंटल फसल उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए उन्हें 64 हजार रुपये से अधिक का मुनाफा होने की उम्मीद है.

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फसल विविधीकरण का किसान को मिला फायदा, सिर्फ बीज और जुताई का लगा पैसा, 65000 मुनाफे का गणित समझिएवाराणसी के प्रगतिशील किसान उदयभान सिंह ने 2 एकड़ खेत में बेहद कम लागत में बाजरा की खेती की है.

केंद्र और राज्य सरकार किसानों को फसल विविधीकरण को लेकर प्रेरित कर रही हैं. ताकि, मिट्टी की पोषकता बनी रहे और उत्पादन ज्यादा हो सके. इसके अलावा प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के प्रगतिशील किसान ने फसल विविधीकरण को अपनाते हुए पारंपरिक फसल धान की बुवाई की बजाय इस बार बाजरा की खेती की है. प्राकृतिक तरीके से बाजरा की खेती किए जाने से लागत घट गई है, जबकि खेत में लहलहाती फसल से बंपर उपज मिलने की संभावना है. 

यूपी कृषि विभाग के अनुसार फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती के जरिए उत्तर प्रदेश के वाराणसी के प्रगतिशील किसान उदयभान सिंह ने 2 एकड़ खेत में बेहद कम लागत में बाजरा की खेती की है. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की मदद से उन्हें जानकारी मिली की धान फसल की उपज के लिए इलाके का मौसम ठीक नहीं है और उन्हें बाजरा की बुवाई करनी चाहिए. किसान ने खेत में बाजरे की लहलहाती फसल को लेकर कहा कि बंपर उपज मिलने की उम्मीद है, जिससे उन्हें तगड़ा मुनाफा होगा. 

2 एकड़ खेत में धान की बजाय बोया बाजरा

वाराणसी के विकास खंड सेवापुरी के ग्राम दौलतिया के किसान उदयभान सिंह को कृषि विभाग की ओर से निशुल्क बाजरे की मिनीकिट दी गई थी. समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों से उचित सलाह और मार्गदर्शन भी उन्होंने लिया, जिससे आज उनके दो एकड़ खेत में कम लागत और कम पानी से श्री अन्न बाजरा लहलहा रहा है. प्रगतिशील किसान उदयभान ने बताया कि इस बार मैने बाजरे की खेती की है. कृषि विभाग की ओर से बताई गई तकनीक से खेती की है, जिससे उनकी फसल लहलहा रही है. किसान ने कहा कि किसानों को कोई भी फसल बुवाई से पहले कृषि विशेषज्ञों से सलाह जरूर लेनी चाहिए ताकि कम लागत में सही फसल की बुवाई की जा सके. 

प्राकृतिक तरीके से बाजरा की खेती में जीरो लागत आई 

किसान ने बताया कि पहले वह धान की फसल करते थे. इस बार शुरुआत में बारिश कम हुई तो कृषि विभाग का मार्गदर्शन मिला कि धान की बजाय बाजरे की खेती की जाए. इस पर किसान ने 2 एकड़ खेत में बाजरे की बुवाई की है. किसान ने कहा कि इस बार मेरा बाजरा काफी अच्छा आया है. इसमें लागत बिल्कुल जीरो है. क्योंकि इसे नेचुरल फार्मिंग विधि से किया है, जिसकी वजह से केवल बीज और जुताई का पैसा लगा है. जबकि, सिंचाई, कीटनाशक-दवाओं, खरपतावर प्रबंधन और मजदूरी आदि पर खर्च नहीं करना पड़ा है. 

90 से कम दिनों में 30 क्विंटल उपज मिलेगी 

प्रगतिशील किसान उदयभान सिंह ने कहा कि बाजरे की खेती के लिए बीज और जुताई के अलावा एक भी पैसा नहीं लगा है. किसान ने कहा कि फसल अच्छी आई और भुट्टे पर दाने बढ़िया हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि औसत उत्पादन में लगभग 25-30 क्विंटल होने की संभावना है. बता दें कि बाजरे की खेती अधिकतम 85 दिनों में तैयार हो जाती है. 

  • बाजरा की खेती में खर्च और बचत का गणित समझिए 

  • एक एकड़ में अधिकतम 3 किलो बाजरा का बीज लगता है. इस तरह से 2 एकड़ खेत में 6 किलो बीज लगा. 
  • अच्छी किस्म का बाजरा बीज 1 किलो 350 रुपये में मिल जाता है. इस तरह से 2 एकड़ खेत में 6 किलो बीज की कीमत 2,100 रुपये बैठती है. 
  • अब अगर बाजरा बुवाई के लिए खेत की जुताई की बात करें तो दो बार जुताई करनी होती है. 1 बार हैरो से और 1 बार कल्टीवेटर से. 
  • ट्रैक्टर से 1 एकड़ खेत की जुताई में 1 घंटा समय लग जाता है और 1 घंटे का जुताई खर्च अधिकतम 1200 रुपये तक हो सकता है. इस हिसाब से 2 एकड़ खेत की जुताई के लिए 2400 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. 
  • बाजरा फसल कटाई आदि पर खर्च लगभग 10 हजार रुपये आता है. 
  • अब अगर बाजरा उपज की एमएसपी कीमत देखें तो 2625 रुपये प्रति क्विंटल है. 
  • अब किसान के खेत में अगर 30 क्विंटल बाजरा की पैदावार होगी तो एमएसपी के हिसाब से उसकी कीमत 78,750 रुपये बैठती है. 
  • अब बाजरा उपज की कीमत में जुताई का 2400 रुपये, बीज का दाम 2100 रुपये और फसल कटाई का खर्च 10,000 रुपये घटा दें तो किसान के हाथ में 64,250 रुपये मिलते हैं. 
  • इसका मतलब है कि प्राकृतिक तरीके से बाजरा की खेती करके लगभग 3 महीने में लागत हटाकर 64,250 रुपये की कमाई होगी.

(नोट- स्थान के हिसाब से खेती लागत और कमाई आदि में बदलाव संभव है.)

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