दुनिया का 75 फीसदी वनीला मैडागास्कर में होता है. वनीला की सबसे अधिक खेती अब तक मैडागास्कर में की जाती है. लोग इसके स्वाद और सुगंध दोनों के कायल हैं. अलग-अलग तरीकों से इसका इस्तेमाल किया जाता है. भारत की बात करें तो वनीला की खेती अब तक देश के दक्षिणी भाग तक में ही सीमित थी, लेकिन अब इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए उत्तर पूर्व में भी इसकी खेती की जाती है. मेघालय के गारो हिल्स के कुछ किसानों ने अब लगभग 10-15 हेक्टेयर में वनीला की खेती शुरू कर दी है. असम में भी कुछ किसान इस फसल की खेती कर अपना किस्मत आजमा रहे हैं.
मेघालय के तुरा शहर से करीब 50 किमी दूर रानीरगिरी गांव के एक किसान ने इस साल 360 किलो सूखे वनीला बीन्स को 800 रुपये प्रति किलो की दर से बेचते हैं. ऐसे में मसाला बोर्ड किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन और बाजार से जोड़ने में मदद कर रहा है. ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके. बोर्ड ने दशकों पहले पूर्वोत्तर भारत में वनीला की खेती के लिए पहल की थी. इसने किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन और त्रिपुरा, असम, मेघालय, आदि में मुफ्त में वनीला रोपण सामग्री देते थे.
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वहीं, नॉर्थ-ईस्ट में वनीला की खेती का अच्छा स्कोप है, क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल है. भारतीय वनिला की विदेशी बाजारों में मांग काफी अधिक है. क्योंकि यह यहां जैविक रूप से इसकी खेती की जाती है.
इस बीच, मंदी के मद्देनजर विदेशी बाजारों में स्थिर मांग के बीच वनीला की कीमतें स्थिर रहीं.
जोसेफ सेबेस्टियन, इकोस्पाइस, इडुक्की ने कहा कि मौजूदा सीजन दिसंबर तक खत्म हो गया था और बीन्स फसल की कीमतें 100 डॉलर प्रति किलोग्राम और एक्स-ट्रैक्शन ग्रेड के लिए लगभग 150 डॉलर थीं. हालांकि, उद्योग के सूत्रों ने कहा कि मंदी के कारण वैश्विक स्तर पर आइसक्रीम और अन्य खाद्य पदार्थों की घटती खपत ने वनीला एक्स-ट्रैक्ट निर्यात को प्रभावित किया है जो 2022 में घटकर 30 टन रह गया, जो 2021 में 70 टन था.
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