उड़द, बाजरा और सोयाबीन सहित इन 8 फसलों की कीमत MSP से भी कम, जानें ताजा मंडी भाव

उड़द, बाजरा और सोयाबीन सहित इन 8 फसलों की कीमत MSP से भी कम, जानें ताजा मंडी भाव

किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि सरकार द्वारा एमएसपी आधारित खरीद शुरू नहीं करने के कारण किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. सितंबर के आखिरी हफ्ते में सात दिनों की छोटी सी अवधि में राजस्थान के किसानों को काफी अधिक आर्थिक नुकसान हुआ है.

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उड़द, बाजरा और सोयाबीन सहित इन 8 फसलों की कीमत MSP से भी कम, जानें ताजा मंडी भावMSP से कम कीमत होने के चलते किसानों को हो रहा नुकसान. (सांकेतिक फोटो)

देश में 8 फसलों की कीमतें मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) से नीचे चल रही हैं. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. इन फसलों में उड़द, बाजरा, नाइजर, सोयाबीन, मूंगफली, मूंग, रागी और सूरजमुखी का नाम शामिल है. खास बात यह है कि 1 अक्टूबर से इन फसलों की कीमतें एमएसपी से नीचे आई हैं. कृषि-टर्मिनल बाजार या कृषि उपज विपणन समिति यार्ड में किसानों को उनकी फसलों का उचित रेट नहीं मिल रहा है. ऐसे में किसानों ने सरकार से मार्केट में हस्तक्षेप करने की मांग की है.

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की एक शाखा, एगमार्कनेट पोर्टल के अनुसार, इस महीने के पहले तीन दिनों में नाइजर, उड़द, बाजरा, सोयाबीन, मूंगफली, मूंग, रागी और सूरजमुखी की औसत मंडी कीमतें उनके एमएसपी से 8-25 प्रतिशत कम थीं. दूसरी ओर, धान और कपास की कीमतें लगभग बराबर (एमएसपी से +0.5 प्रतिशत) पर थीं. जबकि मक्का (2 प्रतिशत), ज्वार (4.8 प्रतिशत), तुअर (33.5 प्रतिशत) और तिल (40 प्रतिशत) की मंडी कीमतें एमएसपी से ऊपर दर्ज की गईं.

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किसानों को उठाना पड़ा नुकसान

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि सरकार द्वारा एमएसपी आधारित खरीद शुरू नहीं करने के कारण किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. सितंबर के आखिरी हफ्ते में सात दिनों की छोटी सी अवधि में राजस्थान के किसानों को 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा, जो कि खरीद होने पर उन्हें मिल सकता था. उन्होंने दावा किया कि राज्य की बगरू, चौमू, श्रीमाधोपुर, केकड़ी, दौसा, लालसोट, मुंडावर, मंडावरी, बयाना और डीग मंडियों में किसानों को 50,800 क्विंटल बाजरा 2,200-2,400 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचना पड़ा, जबकि 2024-25 के लिए बाजरे का एमएसपी 2,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है.

इन फसलों की इतनी है कीमत

हालांकि, बाजरा का उत्पादन उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे अन्य राज्यों में भी होता है, लेकिन 2023-24 में भारत के कुल 9.7 मिलियन टन (एमटी) उत्पादन में अकेले राजस्थान की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत से अधिक है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 1-3 अक्टूबर के दौरान नाइजर (एमएसपी से 8.2 प्रतिशत नीचे) के मामले में अखिल भारतीय औसत मूल्य 8,000 रुपये प्रित क्विंटल था. वहीं, उड़द का रेट 6,780 रुपये (-8.4 प्रतिशत), बाजरा का रेट 2,389 रुपये (-9 प्रतिशत), मूंग का रेट 7,041 रुपये (-18.9 प्रतिशत) और रागी का रेट 3,439 रुपये (-19.8 प्रतिशत) रहा, जोकि एमसपी से काफी कम है.

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सूरजमुखी का रेट एमएसपी से है बहुत कम

वहीं, बात अगर तिलहन की करें तो इस महीने सोयाबीन 4,268 रुपये क्विंटल (-12.8 प्रतिशत), मूंगफली 5,817 रुपये क्विंटल (-14.2 प्रतिशत) और सूरजमुखी की कीमतें 5,496 रुपये क्विंटल (-24.5 प्रतिशत) थीं. 12 सितंबर को सोयाबीन का अखिल भारतीय औसत मंडी मूल्य 4,521 रुपये क्विंटल, मूंगफली का 5,885 रुपये क्विंटल और सूरजमुखी का 4,874 रुपये क्विंटल था. सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने कहा कि आयात शुल्क में वृद्धि समय पर की गई और इससे काफी मदद मिली है, नहीं तो कीमतों में और गिरावट आती.

 

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