बारिश का मौसम खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में इस वक्त मौसम में बदलाव हो रहा है. इस दौरान खेतों में फसलों के साथ-साथ पशुओं का विशेष ध्यान रखना पड़ता है ताकि पशुओं को बीमार होने से बचाया जा सके. इसे लेकर भारत मौसम विभाग (IMD) की तरफ से किसानों और पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की जाती है. इसका पालन करके पशुपालक अपने मवेशियों को बीमार पड़ने से बचा सकते हैं इससे उन्हें किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है. भारत मौसम विभाग की तरफ से जम्मू-कश्मीर के पशुपालकों के लिए सलाह जारी की गई है.
गौपालकों को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि इस समय दूध देने वाली गायों में थन का रोग हो सकता है. इससे बचाव के लिए गाय के रहने वाली जगह को अच्छी तरह से साफ रखें और थनों की अच्छी सफाई सुनिश्चित करें. दूध देने वाली गाय का दूध बढ़ाने के लिए सलाह दी जाती है कि उन्हें मिनरल मिक्सचर खिलाएं. इसके अलावा उनके प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए उन्हें पूरक आहार दें. इससे उनकी गर्भधारण दर में वृद्धि होती है. इस सीजन में हरी घास विशेषकर तिपतिया घास चरने के कारण गाय में सूजन की समस्या देखी जा सकती है. अगर ऐसी समस्या दिखाई देती है तो गाय को बाल्टोसिल, तारपीन तेल या सरसों तेल देना चाहिए.
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इस समय गाय में मुंह और पैर की बीमारी (खुरपका मुंहपका) होने की संभावना बनी रहती है. इसलिए खुरहा और चपका रोग के प्रति भी लागातार ध्यान रखें. अगर सितंबर महीने में फुट एंड माउथ डिजीज का टीकाकरण नहीं कराया है तो इस महीने में जरूर करा लें. इसके अलावा इस समय जानवरों में गलघोंटू रोग हो सकता है. इसके कारण उनके गले में समस्या आ जाती है और घोटने में परेशानी होती है. यह गलती से सेब या शलजम खिलाने से हो जाता है. इसलिए इस दौरान पशुओं को खिलाने-पिलाने में सावधानी बरतें. इसके साथ ही पशुओं को कृमिनाशक दवा खिलाएं.
भेड़ और बकरियों को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि जो पशु खुले में चरते में हैं उन्हें लेकर उचित सावधानी बरती जानी चाहिए. उनके घावों और चोटों पर विशेष ध्यान देना चाहिए. घावों में उचित कीटनाशकों और मक्खी निरोधकों का छिड़काव करना चाहिए. किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने के लिए उचित उपाय करने चाहिए. मुंह और पैरों के रोग के लिए एहतियाती कदम उठाएं. एफएमडी के खिलाफ एस महीने मवेशियों का टीकाकरण कराएं. साथ ही पशुओं को कृमि की दवा खिलाएं.
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पॉल्ट्री मुर्गियों को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि जब मुर्गियां फार्म में आएं तब उन्हें तुरंत भोजन उपलब्ध कराएं. इसके अलावा उन्हें ग्लूकोज दें. फार्म में आने के पहले तीन दिनों तक इलेक्ट्रोलाइट्स और तनाव-विरोधी विटामिन दें. ब्रू़डिंग के दौरान शेड का तापमान 32 डिग्री बनाए रखें. चूजों के पालन-पोषण के दौरान 35°C तक तापमान बनाए रखें. शेड को गंदा नहीं होने दें. शेड में उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करें ताकि हानिकारक गैसों का जमाव नहीं हो. इसके अलावा नियमित रूप से टीकाकरण कराएं.
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