तूर दाल में महंगाई बने रहने की आशंका है. इस सीजन में तूर दाल की पैदावार कम होने की संभावना है. ऐसे में यह दाल बाहर से आयात करना पड़ेगा. हालांकि देश में बाकी दालों का उत्पादन सही रहेगा, जैसा कि सरकार अनुमान है. तूर की उपज घटने की आशंका को देखते हुए सरकार इसकी कीमतों पर लगातार नजर बनाए हुए है. सरकार का कहना है कि तूर दाल की कीमत कम रखने की पूरी कोशिश हो रही है. मौजूदा भाव में अग बड़ी तेजी आती दिखती है, तो सरकार तुरंत एक्शन लेगी.
खाद्य विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, सरकार उम्मीद कर रही है कि तूर के दाम 111 रुपये प्रति किलो पर जाकर रुकेंगे. सरकार इस दाम को हर दिन ट्रैक कर रही है. अगर इससे अधिक कीमत बढ़ती है, तो सरकार जरूर कार्रवाई करेगी. कोशिश रहेगी कि तूर दाल का दाम 125-130 रुपये से अधिक नहीं होने पाए.
सोशल मीडिया में ऐसी कई खबरें आ रही हैं जिसमें दालों के दाम बढ़ते हुए बताए जा रहे हैं. कुछ और भी कृषि उपजों में बढ़ोतरी की बात बताई जा रही है. इस आधार पर महंगाई बढ़ने की आशंका है. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार देश की लगभग 500 जगहों से 22 कमोडिटी के उत्पादन और दाम की डिटेल जुटा रही है. इस डिटेल को हर दिन सरकारी पोर्टल पर अपडेट किया जा रहा है ताकि अफवाहों पर रोक लगाई जाए.
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देश के अलावा विदेशों में भी दालों के दाम और उत्पादन पर सरकार नजर रख रही है ताकि बाद में आयात करने में कोई परेशानी नहीं हो. खाद्य विभाग के सचिव के मुताबिक, म्यांमार ने 7.5 लाख टन उड़द दाल के निर्यात का भरोसा दिया है. इसके अलावा कनाडा और पूर्वी अफ्रीका के पास मसूर की बड़ी खेप मौजूद है. अगर भारत को जरूरत पड़े तो वहां से आयात किया जा सकता है. हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि भारत में तूर की कमी होने की आशंका है, बाकी दालों के उत्पादन में कोई गिरावट नहीं देखी जाएगी.
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अभी हाल में भारत ने मोजांबिक से दाल की बड़ी खेप खरीदी थी, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध के चलते सप्लाई मोजांबिक से नहीं निकल सकी. अमेरिका ने आतंकी गतिविधियों को देखते हुए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के तहत मोजांबिक पर प्रतिबंध लगाया है. इसके चलते भारत में आने वाली दालों की खेप फंस गई थी. हालांकि भारत ने अपने स्तर पर इस मामले को दो दिन में ही सुलटा लिया और सप्लाई मंगा ली गई. भारत सरकार इथोपिया से भी लगातार बात कर रही है ताकि वहां तूर की खेती बड़े पैमाने पर हो और भारत वहां से आयात कर सके.
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