केसर की खेती में बड़ी कामयाबी, गिरते रकबे को रोकने में सफलता मिली, प्रति हेक्टेयर उपज भी बढ़ी

केसर की खेती में बड़ी कामयाबी, गिरते रकबे को रोकने में सफलता मिली, प्रति हेक्टेयर उपज भी बढ़ी

कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय केसर मिशन ने जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया है, जिससे किसानों के लिए उत्पादकता और कीमतों में इजाफा हुआ है. वैज्ञानिक तरीके से केसर की कटाई के बाद से किसानों को काफी लाभ हुआ है.

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केसर की खेती में बड़ी कामयाबी, गिरते रकबे को रोकने में सफलता मिली, प्रति हेक्टेयर उपज भी बढ़ी केसर की खेती के विस्तार के लिए नए क्षेत्रों की पहचान की गई है.

जम्मू-कश्मीर सरकार ने कहा कि उसने केसर की खेती में गिरावट को रोकने में सफलता हासिल की है. केसर उगाने वाले क्षेत्र को 3,715 हेक्टेयर पर बनाए रखा गया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1990 से लगातार केसर उत्पादन में गिरावट देखा जा रहा है. इसकी वजह से कई किसान केसर की बजाय सेब और दूसरे फलों की खेती की ओर शिफ्ट हो गए हैं. केसर के गिरती खेती के पीछे बड़ी वजह के रूप में लंबे समय तक सूखे की स्थिति और जलवायु में बदलाव, विपरीत मौसम को माना गया है. लेकिन, अब सरकार के ताजा आंकड़ों से उम्मीद जगी है कि केसर का रकबा और उत्पादन बढ़ने लगा है.  

केसर का रकबा बढ़ाने के लिए नए क्षेत्रों में खेती होगी 

कृषि मंत्री जावेद अहमद डार ने कहा कि सरकार ने केसर की खेती में गिरावट को सफलतापूर्वक रोक दिया है. 2010-11 से केसर की खेती का रकबा 3,715 हेक्टेयर पर स्थिर रहा है. जबकि, उससे पहले हर साल रकबे में गिरावट दर्ज की जा रही थी. उन्होंने कहा कि केसर की खेती को बढ़ाने के लिए नए क्षेत्रों की पहचान की गई है. इसके तहत कश्मीर संभाग में 3,665 हेक्टेयर और किश्तवाड़ में 50 हेक्टेयर में खेती के विस्तार के लिए नए क्षेत्रों की पहचान की गई है.

प्रति हेक्टेयर केसर की उपज दोगुनी हुई 

कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय केसर मिशन ने जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया है, जिससे किसानों के लिए उत्पादकता और कीमतों में इजाफा हुआ है. वैज्ञानिक तरीके से केसर की कटाई के बाद से किसानों को काफी लाभ हुआ है. मंत्री ने कहा कि आधुनिक तकनीकों से केसर का प्रोडक्शन 2009-10 के 2.50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2023 में 4.42 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गई है. 

केसर की कीमत और उत्पादन में उछाल 

डार ने कहा कि केसर की कीमत 2021-22 में 80,000 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 2,20,000 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई. जबकि केसर स्टिग्मा से रिकवरी 22 ग्राम प्रति किलो से बढ़कर 28 ग्राम प्रति किलो हो गई है. इससे कुल उपज में इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि केसर का उत्पादन 2022 में 14.87 मीट्रिक टन से बढ़कर 2023 में 14.94 टन हो गया है. 

सिंचाई के लिए 124 बोरवेल बनेंगे 

मंत्री ने सिंचाई और बुनियादी ढांचे में अंतर को स्वीकार किया. केसर पर राष्ट्रीय मिशन ने 3,665 हेक्टेयर केसर के खेतों में स्प्रिंकलर सिंचाई सुविधा देने के लिए 124 सामुदायिक बोरवेल बनाने की योजना बनाई है, जिनमें से प्रत्येक 30 हेक्टेयर को सिंचाई के लिए पानी देगा. उन्होंने कहा कि स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली और बोरवेल क्षतिग्रस्त होने के मामले सामने आए हैं. अतिक्रमण के संबंध में राजस्व अधिकारियों के पास शिकायतें दर्ज की गई हैं. एक सरकारी समिति ने पाया कि 77 बोरवेल काम नहीं कर रहे हैं. जबकि, केवल 8 बोरवेल काम कर रहे हैं, जिनमें से 4 श्रीनगर में और 4 बडगाम में हैं. 

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