बाढ़, बारिश, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं में फसल बर्बाद होने पर किसानों को आर्थिक संकट से बचाने के लिए उन्हें नुकसान की भरपाई की जाती है. इसके लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चला रही है. इसे दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना भी माना जाता है. 2016 में शुरू हुई पीएम फसल बीमा योजना ने अपनी यात्रा के 9 साल पूरे कर लिए हैं. योजना के जरिए 74 करोड़ किसान आवेदनों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है और 1.73 लाख करोड़ रुपये किसानों के नुकसान दावों की भरपाई के लिए दिए गए हैं. जबकि, नौ साल में किसानों ने फसल बीमा के प्रीमियम के तौर पर लगभग 39,000 करोड़ रुपये का भु्गतान किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम फसल बीमा योजना की शुरुआत 2016 में की थी. यह योजना किसानों की समृद्धि और सुरक्षा का मजबूत आधार बनी है. योजना का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए टोल फ्री नंबर 14447 बड़ा गेमचेंजर बनकर उभरा है. इसके बाद केंद्र ने किसानों से बातचीत और उनके सवालों के जवाबों के लिए और आसान विकल्प देते हुए व्हाट्सऐप चैटबॉट नंबर 7065514447 भी दिया है. इन नंबरों के जरिए किसानों तक योजना को पहुंचाने और इसके फायदे बताने में बड़ी कामयाबी मिली है.
पीएम फसल बीमा योजना ने अपनी 9 वर्षों की यात्रा में 74 करोड़ किसान आवेदनों को पूरा किया है. अब तक कुल लाभार्थी किसानों की संख्या देखें तो यह आंकड़ा 19.70 करोड़ के पार पहुंच चुका है. इन 9 वर्षों के दौरान किसानों की फसल नष्ट होने के दावों की भरपाई के रूप में अब तक 1.73 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किए गए हैं. वर्ष 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है. यह देश के किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के प्रहार से बचाती है और उन्हें आर्थिक रूप से सुरक्षित करती है.
खरीफ सीजन 2024-25 में बारिश और बाढ़ की वजह से बर्बाद फसलों की भरपाई कराने के लिए किसानों के बीमा कराने के लिए 9 करोड़ आवेदन पहुंचे हैं. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खरीफ सीजन 2024 के लिए 8.69 करोड़ से अधिक किसानों के फसल बीमा कराने के आवेदन पहुंचे हैं. वहीं, रबी सीजन की फसलों के लिए बीमा कराने की खातिर किसानों के 8 करोड़ से अधिक बीमा आवेदन पहुंचे हैं.
पीएम फसल बीमा योजना के तहत फसलों बीमा कराने पर किसानों को कुछ राशि बीमा कंपनियों को प्रीमियम के रूप में भुगतान करनी होती है. जबकि, राज्य और केंद्र सरकार भी बीमा कंपनियों को प्रीमियम भुगतान करती हैं. ताकि, किसान पर वित्तीय बोझ न बढ़े.
उदाहरण से देखें तो पीएम फसल बीमा योजना के तहत रबी सीजन में हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के किसान गेहूं फसल का बीमा कराते हैं तो 2 हेक्टेयर फसल के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को किसान सम इंश्योर्ड राशि का केवल 1.5 फीसदी राशि यानी 1800 रुपये प्रीमियम यानी बीमा की किस्त चुकाते हैं. जबकि, प्रीमियम की बाकी 8 फीसदी रकम केंद्र और राज्य सरकार बीमा कंपनी को चुकाती है. फसल का बीमा होने के बाद अगर फसल का नुकसान होता है तो किसान को अधिकतम 1.20 लाख रुपये मुआवजा मिलता है. मुआवजा राशि फसल नुकसान आकलन के आधार पर कम भी हो सकती है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को पेश केंद्रीय बजट 2025-26 में पीएम फसल बीमा योजना (Crop Insurance Scheme Budget 2025) के लिए रकम आवंटन 12242 करोड़ रुपये किया है. आधिकारिक आंकड़ों के इससे पहले अनुसार केंद्र ने बजट 2023-24 में फसल बीमा के लिए 12949 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. इसके बाद 2024-25 के लिए बजट एस्टीमेट 14600 करोड़ रुपये रखा गया, लेकिन बाद में इसे रिवाइज कर 15864 करोड़ रुपये बढ़ाया गया.
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