चावल के भाव में आगे तेजी देखी जा सकती है. इसके दाम पहले से बढ़े हुए हैं, लेकिन आगे और भी तेजी देखी जा सकती है. खुले बाजार में चावल के रेट स्थिर रहें या अचानक कोई बड़ी महंगाई नहीं देखी जाए, इसके लिए सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं. टुकड़ा चावल पर पूरी तरह रोक है, जबकि सफेद चावल के निर्यात पर 20 फीसद ड्यूटी लगाई गई है. ऐसे कदम इसलिए उठाए गए हैं ताकि घरेलू मार्केट में चावल की कमी न हो और घरेलू मार्केट की खेप को विदेश जाने से रोका जा सके. लेकिन क्या इस कदम से दीर्घ काल तक महंगाई रुकी रहेगी?
चावल के दाम में तेजी न आए या महंगाई रुकी रहे, इसकी संभावना कम है. इसे समझने के लिए तीन वजहों पर गौर किया जा सकता है. पहला, भारत ने चावल के निर्यात पर रोक और ड्यूटी बढ़ा दी है. दूसरा, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल में संसद में बताया कि चावल उत्पादन करने वाले खास राज्यों जैसे यूपी, बिहार, झारखंड और बंगाल में बारिश इस बार कम हुई है जिससे अनाजों का उत्पादन कम हो सकता है. उन्होंने खरीफ चावल के उत्पादन का अनुमान 104.99 मिलियन टन बताया है जबकि पिछले सीजन में यह उत्पादन 111.76 मिलियन टन था.
तीसरी अहम बात बांग्लादेश की है जिसमें वहां की सरकार ने भारत से 0.5 मिलियन टन पके चावल की मांग की है. बांग्लादेश को उबला या उसना चावल की जरूरत वहां राशन वितरण के लिए पड़ी है. थाइलैंड, वियतनाम और कंबोडिया की तुलना में भारत का चावल थोड़ा सस्ता पड़ेगा, इसलिए शेख हसीना सरकार ने भारत से चावल की मांग की है.
इन तीन बातों को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में चावल के बाजार में तेजी बनेगी. इसके संकेत साल 2023 की शुरुआत में मिलने शुरू हो सकते हैं.
भारत में पिछले साल की तुलना में इस बार 7 मिलियन टन कम चावल का उत्पादन हुआ, लेकिन जानकारों को आशंका है कि यह और भी कम हो सकता है. इससे महंगाई बढ़ सकती है. एक बड़ी वजह ये भी है कि केवल भारत में ही उत्पादन नहीं घटा बल्कि पाकिस्तान में भी पिछले 10 साल में सबसे कम चालव की उपज हुई है. चीन की स्थिति भी ठीक नहीं लग रही क्योंकि वहां पिछले 61 साल में सबसे गंभीर सूखा देखा गया है.
म्यांमार, वियतनाम, कंबोडिया औऱ थाइलैंड में भी चावल का उत्पादन बेहद प्रभावित है जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में आवक घट सकती है. अमेरिका और यूरोप में सूखे का असर देखा गया है. इन देशों में बड़ी मात्रा में चावल का उत्पादन गिरा है. यही हालत बांग्लादेश में भी है.
'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के एग्रीकल्चरल मार्केट इनफॉरमेशन सिस्टम के हवाले से अनुमान जताया है कि दुनिया में इस साल चालव का उत्पादन 12 मिलियन टन तक गिर सकता है. व्यापार से जुड़े विशेषज्ञ तो 14 मिलियन टन तक उत्पादन घटने की संभावना जता रहे हैं. यही वजह है कि आने वाले महीनों में चावल के दाम में तेजी दिखने की संभावना जताई जा रही है.
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