महाराष्ट्र में किसानों को अब फसल बीमा का मुआवजा कम से कम 1000 रुपये जरूर मिलेगा. प्रदेश के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने गुरुवार को इसका निर्देश दिया. समय-समय पर ऐसी खबरें आती रही हैं जिसमें किसानों को कुछ-कुछ रुपये के मुआवजे की बात सामने आती है. इसमें सरकार के साथ-साथ बीमा कंपनियों की भी किरकिरी होती है. लेकिन महाराष्ट्र सरकार के इस निर्देश से कुछ राहत मिलती दिख रही है. अब किसानों को किसी भी सूरत में 1000 रुपये से कम का मुआवजा नहीं मिलेगा.
महाराष्ट्र में किसानों की बड़ी तादाद है. मौसमी मार के चलते किसानों को बर्बादी भुगतनी पड़ती है. लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने-अपने स्तर पर फसल बीमा मुआवजा और फसल राहत राशि देना शुरू किया है. इससे किसानों को कुछ राहत जरूर मिली है. महाराष्ट्र के कृषि मंत्री का कहना है कि अभी तक उन्हें फसल बीमा के मुआवजे के लिए 50 लाख आवेदन मिले हैं. इन आवेदनों की जांच की जा रही है जिसके बाद क्लेम का सेटलमेंट किया जाएगा.
कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने 'PTI' से कहा, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक योग्य किसान को उसके क्लेम में कम से कम 1000 रुपये जरूर मिले. महाराष्ट्र में फसलों के नुकसान का आकलन पूरा कर लिया गया है. अभी तक क्लेम सेटलमेंट में 1902 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है. इस मद में 2312 करोड़ रुपये वितरित किए जाने हैं. महाराष्ट्र में फसलों का भारी नुकसान देखा गया है जिसके लिए किसानों ने मुआवजा मांगा है. फसली नुकसान पहले अधिक नहीं होता था, लेकिन हाल के वर्षों में ये घटनाएं बढ़ गई हैं.
महाराष्ट्र सरकार ने फसलों के नुकसान का आकलन करने और क्लेम सेटलमेंट के लिए एक कमेटी का गठन किया है. कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार कहते हैं कि पहले रबी सीजन में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली बारिश नहीं होती थी. लेकिन अब ऐसा देखा जा रहा है. इस सीजन में बारिश से फसलों को हुए नुकसान के लिए किसानों को 760 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है. सत्तार ने कहा कि नुकसान के आकलन के लिए बनाई गई कमेटी का काम क्या होगा और उसका स्ट्रक्चर कैसा होगा, इस पर फैसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात के बाद लिया जाएगा.
महाराष्ट्र में किसानों को कम मुआवजा मिलने की खबर अक्सर आती रहती है. कई बार तो कुछ रुपये ही फसल बीमा के नाम पर मिलने की खबर दिखती है. दो हफ्ते पहले ऐसी की एक सूचना अकोला से आई थी. इसमें पता चला कि किसी किसान को 90 रुपये तो किसी को 155 और किसी के खाते में 360 रुपये ही आए.
खबर कुछ यूं रही कि अकोला के टाकली गांव के किसान प्रभाकर घोगरे जिन्होंने अपने 2 एकड़ में तुर की फसल लगाई थी और उसका फसल बीमा भी निकाला था. बीमा के लिए उन्होंने 844 रुपये प्रीमियम भरा था, लेकिन जब बारिश हुई तो फसल का भारी नुकसान हुआ. उन्होंने बीमा का क्लेम किया, लेकिन महीनों बाद सर्वेक्षण के बाद उनके अकाउंट में 90.72 रुपये जमा हुए. इस किसान ने जब दूसरे किसान से बात की तो किसी के अकाउंट में 155 रुपये जमा होने तो किसी के अकाउंट में 360 रुपये आने की बात सामने आई. यह रकम प्रीमियम के मुकाबले 10 से 12 परसेंट ही नजर आई. अब महाराष्ट्र सरकार के 1000 रुपये मुआवजे के निर्देश के बाद इन घटनाओं पर विराम लगता नजर आ रहा है.
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