भारत में तिलहन फसलों के रकबे में पिछले साल के मुकाबले 2 लाख हेक्टेयर से अधिक की कमी आई है. इस बीच खाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ रहा है. अगस्त में खाद्य तेल आयात 5.5 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 1.85 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है. इसके पीछे की वजह बारिश की अनिश्चितताओं के चलते उत्पादन में कमी के आसार और आने वाले त्योहारी मौसम को देखते हुए डिमांड बढ़ने का अनुमान है. आयातकों ने आगामी त्योहारों के लिए स्टॉक बनाने के लिए लगातार दूसरे महीने 1 मिलियन टन से अधिक पाम तेल खरीदा है. भारत दुनिया का सबसे बड़े खाद्य तेल आयातक है. जबकि इंडोनेशिया और मलेशिया इसके निर्यातक हैं.
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि मार्केटिंग वर्ष 2021-22 में भारत का औसत मासिक खाद्य तेल आयात 1.17 मिलियन टन था. जुलाई में भारत ने 1.76 मिलियन टन का आयात किया, जो एक रिकॉर्ड ऊंचाई भी थी. अगस्त में पाम तेल का आयात पिछले महीने से लगभग 3.9 फीसदी बढ़कर 1.13 मिलियन मीट्रिक टन हो गया, जो नौ महीनों में सबसे अधिक है और डीलरों के अनुमान के अनुरूप है.
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इसी तरह सोया तेल का आयात लगभग 4.6 फीासदी बढ़कर 357,890 टन हो गया और सूरजमुखी तेल का आयात 11.8 परसेंट बढ़कर 365,870 टन हो गया, जो सात महीनों में सबसे अधिक है. भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम तेल खरीदता है, जबकि यह अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया तेल और सूरजमुखी तेल आयात करता है.
महासंघ के महामंत्री तरुण जैन ने कहा रिकॉर्ड आयात ने विभिन्न भारतीय बंदरगाहों पर कुल स्टॉक को 1 सितंबर को रिकॉर्ड 1.46 मिलियन टन तक बढ़ा दिया. जबकि 1 अगस्त को यह 949,000 टन और एक साल पहले 611,000 टन था. अगस्त के आयात में वृद्धि बंदरगाह की भीड़ का परिणाम थी, जिसके कारण कांडला बंदरगाह पर जुलाई के लिए निर्धारित कई जहाजों की अनलोडिंग में देरी हुई. भारत 31 अक्टूबर को समाप्त होने वाले मार्केटिंग वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन खाद्य तेलों का आयात कर सकता है.
ठक्कर का कहना है कि अगस्त में कमजोर मॉनसून के कारण तिलहन फसलों पर बुरा असर हुआ है. सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई है. इस वजह से तिलहन के उत्पादन में कमी होने का अनुमान है. खाद्य तेलों में सोयाबीन का योगदान करीब 18 परसेंट है. इसलिए इस पर मौसम का दुष्प्रभाव चिंता बढ़ाने वाला साबित हो सकता है. यही नहीं इस साल तिलहन फसलों का रकबा पिछले साल से 2.12 लाख हेक्टेयर कम है. इस साल 192.20 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बुवाई हुई है तो पिछले साल 15 सितंबर तक 194.33 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन, मूंगफली और सूरजमुखी जैसी फसलें बोई गई थीं.
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