भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सेब, अखरोट और बादाम सहित अमेरिकी मूल के आठ उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क को वापस ले लिया है. अमेरिका और भारत के बीच छह लंबित डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) विवादों को परस्पर सहमत समाधानों के माध्यम से हल करने के लिए जून 2023 में लिए गए निर्णय को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है. इसके बाद सरकार ने यह भी सफाई दी है कि अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम के आयात पर अतिरिक्त प्रतिशोधात्मक शुल्क (Retaliatory Duty) और अतिरिक्त दर को हटाने से देश के उत्पादकों पर कोई नकारात्मक असर नहीं होगा. सरकार ने दावा किया है कि इस फैसले से भारतीय उपभोक्ताओं को फायदा होगा. क्योंकि अमेरिकी सेब और दूसरे सात उत्पाद अब अन्य सभी देशों की तरह ही समान स्तर पर यहां भी प्रतिस्पर्धा करेंगे.
उधर, डब्ल्यूटीओ विवाद के समाधान से अमेरिका में भारतीय इस्पात और अल्यूमीनियम के निर्यात के लिए बाजार तक पहुंच बहाल हो जाएगी. वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2019 में अमेरिका के उत्पादों पर एमएफएन (Most Favoured Nation) शुल्क के अलावा सेब एवं अखरोट पर 20-20 प्रतिशत और बादाम पर 20 रुपये प्रति किलोग्राम का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया था. भारत ने यह एक्शन तब लिया था जब अमेरिकी सरकार ने हमारे कुछ विशेष स्टील और अल्यूमीनियम उत्पादों पर टैरिफ या शुल्क बढ़ा दिया था. इससे भारतीय बाजार में अमेरिका को बड़ा झटका लग रहा था. उसके मार्केट शेयर पर दूसरे देश कब्जा करने लगे थे.
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भारत द्वारा अमेरिकी मूल के उत्पादों पर लगाए गए ये अतिरिक्त शुल्क अब वापस ले लिए गए हैं, क्योंकि अमेरिका भारतीय स्टील और अल्यूमीनियम उत्पादों को अपने यहां बाजार में पहुंच प्रदान करने पर सहमत हो गया है. सेब, अखरोट और बादाम पर देय एमएफएन (सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र) शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है. अमेरिकी सेब एवं अखरोट पर 50 प्रतिशत और 100 प्रतिशत एमएफएन शुल्क अब भी लागू रहेगा, क्योंकि केवल 20 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क ही हटाया गया है. इसी तरह बादाम पर 100 रुपये प्रति किलोग्राम की एमएफएन दर अब भी लागू रहेगी, केवल 20 रुपये प्रति किलोग्राम की अतिरिक्त एमएफएन दर हटाई गई है. यह संयोग ही है कि जी-20 समिट के तुरंत बाद ऐसा फैसला हुआ है.
इसके अलावा, विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी डीजीएफटी ने सेब को लेकर एक और अहम फैसला लिया है. अपनी अधिसूचना संख्या 05/2023, दिनांक 8 मई 2023 के तहत भूटान को छोड़ सभी देशों से होने वाले आयात पर 50 रुपये प्रति किलोग्राम का एमआईपी (न्यूनतम आयात मूल्य) लागू करके सेब आयात नीति में संशोधन किया है. यह एमआईपी अमेरिका और अन्य देशों (भूटान को छोड़) से आने वाले सेब पर भी लागू होगा. यह उपाय भारत में कम गुणवत्ता वाले सेबों की डंपिंग से बचाव करेगा.
वाणिज्य मंत्रालय ने दावा किया है कि इस उपाय से देश के सेब, अखरोट और बादाम उत्पादकों पर कोई भी नकारात्मक असर नहीं होगा. बल्कि इसके परिणामस्वरूप सेब, अखरोट और बादाम के प्रीमियम बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी. जिससे हमारे भारतीय उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर बेहतर उत्पाद मिलेंगे. अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम भी अन्य सभी देशों की तरह ही समान स्तर पर भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करेंगे.
अमेरिकी सेब और अखरोट के आयात पर अतिरिक्त प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाए जाने से अन्य देशों को लाभ होने के कारण अमेरिकी सेब की बाजार हिस्सेदारी घट गई थी. यह अमेरिका के अलावा अन्य देशों से सेब के आयात में काफी वृद्धि होने से स्पष्ट हो जाता है. जो कि वित्त वर्ष 2018-19 के 160 मिलियन डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 290 मिलियन डॉलर हो गया है. नए परिदृश्य में तुर्की, इटली, चिली, ईरान और न्यूजीलैंड भारत को प्रमुख सेब निर्यातक के रूप में उभर कर सामने आए हैं. इस तरह से एक समय अमेरिका के कब्जे वाले बाजार में दूसरे देशों ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ा ली.
अब अगर अखरोट की बात करें तो इसके मामले में भी भारत में आयात वित्त वर्ष 2018-19 के 35.11 मिलियन डॉलर से काफी बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 53.95 मिलियन डॉलर हो गया. चिली एवं यूएई भारत को सर्वाधिक निर्यात करने वाले देश बन गए. उधर, पिछले तीन वर्षों में ही यहां लगभग 233 हजार मीट्रिक टन बादाम आयात हुआ है, जबकि देश में उत्पादन केवल 11 हजार मीट्रिक टन का ही हुआ है. इस मामले में भारत आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर है. ऐसे में अब अमेरिकी अखरोट और बादाम से अतिरिक्त शुल्क हटा देने से अब उन देशों के बीच उचित प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होगी जो भारत को इन उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं.
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