महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का असर अब धीरे-धीरे जमीन पर दिखने लगा है. कहा जा रहा है कि साल 2023-24 के दौरान भारत के दालों के निर्यात में मात्रा के हिसाब से 22 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 2.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि बांग्लादेश, चीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रमुख खरीदारों द्वारा ऊंची कीमतों पर खरीद में कमी आई है. साल 2023-24 के दौरान दालों का निर्यात 5.94 लाख टन रहा, जो पिछले वर्ष में 7.62 लाख टन था. नए आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में, दालों का निर्यात पिछले वर्ष के 661 मिलियन डॉलर की तुलना में 644 मिलियन डॉलर रहा.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन एसोसिएशन के अध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा है कि इस साल खराब मौसम के कारण हमारा दाल उत्पादन प्रभावित हुआ. चने की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से 15-20 प्रतिशत अधिक थीं, जिससे निर्यात पर असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि इन सभी वर्षों में, चना एमएसपी के तहत हुआ करता था और इसे बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में खरीददार मिलते थे. चने के अलावा काबुली चने का निर्यात भी इस साल कम देखा गया.
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भारतीय दालों के सबसे बड़े खरीदार बांग्लादेश ने 2023-24 के दौरान खरीद पिछले वर्ष के 2 लाख टन की तुलना में घटाकर 1.85 लाख टन कर दी. चीन ने पिछले वर्ष के 1.65 लाख टन की तुलना में खरीद में भारी कमी करके 50,223 टन कर दिया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात से उठाव में भी पिछले वर्ष के 1.33 लाख टन की तुलना में 80,396 टन की उल्लेखनीय कमी देखी गई. हालांकि,अमेरिका को निर्यात पिछले वर्ष के 32,589 टन से बढ़कर लगभग 34,944 टन और श्रीलंका को 23,417 टन की तुलना में 27,699 टन हो गया. ब्रिटेन को निर्यात 9,919 टन से लगभग दोगुना होकर 18,996 टन हो गया.
इग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा कि भारत का दाल निर्यात बड़े पैमाने पर प्रवासी आबादी की जरूरतों को पूरा करता है, जहां देसी चना और काबुली चना के निर्यात में गिरावट देखी गई, वहीं मसूर, तुअर और उड़द के निर्यात में वृद्धि देखी गई. चौहान ने कहा कि उड़द का निर्यात दोगुना से अधिक होकर 1.58 लाख टन हो गया है. हालांकि, तुअर और मूंग के निर्यात में मामूली वृद्धि देखी गई है.
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अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान चने का निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 1.27 लाख टन से कम होकर 45,361 लाख टन रह गया है. इसी प्रकार काबुली चना का निर्यात अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान कम होकर 80,488 टन रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 93,624 टन था. भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है, जिसने आपूर्ति को आसान बनाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए वर्ष के दौरान रिकॉर्ड मात्रा में आयात किया. दालें, दैनिक आहार का एक प्रमुख घटक, अधिकांश भारतीय आबादी के लिए प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत हैं.
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