उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख आलू उत्पादक राज्यों में इस बार प्रतिकूल मौसम के चलते उत्पादन में गिरावट आई है. इसके चलते आलू की कीमत में पिछले साल के मुकाबले काफी बढ़ोतरी हुई है. वहीं, व्यापारियों और कोल्ड स्टोरेज के मालिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में आलू और महंगा हो सकता है. उनकी माने तो नवंबर के अंत तक आलू की कीमतें ऊंची रहने की उम्मीद है. हालांकि, आलू की नई फसल मार्केट में आने की बाद कीमतों में गिरावट शुरू हो जाएगी. यानी आम जनता को अभी और 5 से 6 महीने तक महंगा आलू खरीदना पड़ेगा.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आगरा में जेआर कोल्ड स्टोरेज के मालिक श्याम बहादुर चौहान ने कहा कि जनवरी में अधिक ठंड के कारण उत्तर प्रदेश में इस वर्ष आलू की उपज लगभग 115 क्विंटल प्रति एकड़ हुई, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 150 क्विंटल थी. उन्होंने कहा कि कोहरा और कई दिनों तक धूप न निकलने की वजह से आलू के कंदों का निर्माण प्रभावित हुआ. वहीं, दूसरे सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल में, व्यापारियों ने कहा कि प्रमुख फसल की बुआई और कटाई के दौरान बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है.
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व्यापारियों के सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में, जिनकी देश की प्रमुख सब्जी के उत्पादन में 53 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है, प्रतिकूल मौसम के कारण आलू के उत्पादन में 10 फीसदी की गिरावट आई है. कृषि मंत्रालय द्वारा बागवानी फसल उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में 'उत्पादन में कमी' के कारण 2023-24 सीज़न में आलू का उत्पादन पिछले वर्ष के रिकॉर्ड 60.14 मिलियन मीट्रिक टन से मामूली गिरावट के साथ 58.88 मिलियन टन (एमटी) होने का अनुमान है.
आगरा के आलू किसान वैभव शर्मा ने कहा कि मंडी कीमतें वर्तमान में लगभग 22 रुपये प्रति किलोग्राम हैं, जबकि एक साल पहले यह लगभग 13 रुपये प्रति किलोग्राम थी. गुरुवार को उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में आलू की मॉडल खुदरा कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, जो तीन महीने पहले की कीमतों की तुलना में 50 फीसदी की वृद्धि है. मार्च, 2024 में 41 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले पिछले महीने आलू की खुदरा कीमतों में 53 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
व्यापार सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के आगरा, हाथरस, मथुरा और फिरोजाबाद जिलों में स्थित 670 शीत भंडारों में प्रमुख सब्जियों के लगभग 26 करोड़ पैकेट (प्रत्येक 50 किलोग्राम के) संग्रहीत किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 2 करोड़ पैकेट कम है. पश्चिम बंगाल प्रगतिशील आलू व्यवसायी समिति के अनुसार, इस वर्ष आलू के 12.6 करोड़ पैकेट कोल्ड स्टोरेज में रखे गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग एक करोड़ पैकेट कम है.
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15 फरवरी से 31 मार्च के दौरान कटाई के बाद किसानों द्वारा आलू को कोल्ड स्टोरेज में संग्रहित किया जाता है. मुख्य सब्जी के उत्पादन का लगभग 60 प्रतिशत कोल्ड स्टोरेज में संग्रहीत किया जाता है, जबकि लगभग 15 फीसदी उपज कटाई के बाद सीधे बाजार में आती है, जबकि बाकी का उपयोग बीज के रूप में किया जाता है. आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब और बिहार की हिस्सेदारी 80 फीसदी से अधिक है.
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