लहसुन की के बाद अब सूखी लाल मिर्च आम जनता का बजट बिगाड़ सकती है. निर्यात और मांग बढ़ने की वजह से सूखी लाल मिर्च के रेट में उछाल आया है. इससे कीमत में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वहीं, उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में सूखी लाल मिर्च की कीमत में और बढ़ोतरी हो सकती है. ऐसे में प्रमुख लाल मिर्च उत्पाक राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के किसानों को काफी फायदा होगा. उनकी आमदनी भी बढ़ जाएगी. अभी मंडियों में सूखी लाल मिर्च की कीमतें 150 रुपये प्रति किलो से लगभग 190 रुपये किलो के बीच हैं.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल चक्रवात मिचुआंग की वजह से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लाल मिर्च की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा था. इसके अलावा कर्नाटक में भी कम बारिश से लाल मिर्च की खेती के ऊपर असर पड़ा है. इससे रकबे में बढ़ोतरी के बाद भी लाल मिर्च के उत्पादन में गिरावट की आशंका जताई जा रही है. यही वजह है कि डिमांड और निर्यात में मजबूती के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. हैदराबाद के बड़े मिर्च कारोबारी ने बताया कि सूखी मिर्च की कीमतें पहले लगभग 40 प्रतिशत तक कम हो गई थीं, लेकिन अब फिर से बढ़ने लगी हैं.
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पेरिया ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में अधिकांश लाल मिर्च की किस्मों की कीमतों में औसतन 20 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि हालांकि, पिछले साल के तुलना में इस साल अभी भी कीमतें करीब 20 फीसदी कम हैं. वहीं, गुंटूर में ऑल इंडिया चिली एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष समबासिवा राव वेलागापुडी ने कहा कि निर्यात अच्छा चल रहा है और तेजा किस्म के लिए चीन से अच्छी मांग है. पिछले एक महीने में कीमतों में 20 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा स्टॉकिस्टों की ओर से भी मांग है, जिन्होंने नई फसल का भंडारण शुरू कर दिया है.
दरअसल, तेजा भारत से चीन को व्यापक रूप से निर्यात की जाने वाली मिर्च है, जबकि मसालों की फसल दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और श्रीलंका सहित अन्य देशों में भी भेजी जाती है. साल 2022-23 के दौरान भारत का मिर्च शिपमेंट रिकॉर्ड 10,444 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. बिगहाट में मसालों का कारोबार करने वाले संदीप वी ने कहा कि इस साल लाल मिर्च का रकबा लगभग 12 प्रतिशत बढ़ा है. हालांकि, कुल फसल में लगभग 5 प्रतिशत की कमी हो सकती है, क्योंकि आंध्र और तेलंगाना में चक्रवात मियाचुंग के प्रभाव और कर्नाटक में कम बारिश के कारण पैदावार प्रभावित हुई है.
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