Crop Advisory: सरसों और कपास की फसल को कीटों से बचाने के लिए करें ये उपाय, उपज बढ़ाने में मिलेगी मदद
कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा भी किसानों को समय-समय पर कीटों से लड़ने की सलाह दी जाती है. आपको बता दें इस मौसम में सरसों की फसल में माहु रोग का खतरा सबसे अधिक रहता है. ऐसे में आइए जानते हैं सरसों की फसल को माहु रोग से बचाने और कपास की फसल को गुलाबी सुंडी से बचाने का उपाय.
सरसों की खेती मुख्य रूप से रबी मौसम में की जाती है. क्योंकि सरसों की फसल को ठंडे तापमान की जरूरत होती है. सरसों की फसल में लगने वाले रोग भी किसानों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बनते हैं. रोगों के कारण फसल की पैदावार भी कम हो जाती है. जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है. यदि किसान अपनी फसलों की निरंतर निगरानी रखें तो समय रहते बीमारियों से बचाव कर सकते हैं. इतना ही नहीं कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा भी किसानों को समय-समय पर कीटों से लड़ने की सलाह दी जाती है. आपको बता दें इस मौसम में सरसों की फसल में माहु रोग का खतरा सबसे अधिक रहता है. ऐसे में आइए जानते हैं सरसों की फसल को माहु रोग से बचाने के लिए क्या उपाय करना चाहिए. वहीं, कपास की खेती करने वाले किसानों को भी पिंक बॉलवर्म से बचने के लिए जरूरी सलाह दी गई है. ताकि खेतों में पिंक ग्रब का कहर कम हो सके. आइये जानते हैं क्या हैं वो उपाय.
सरसों की फसल को माहु रोग से बचाने का उपाय
यदि मौसम अनुकूल हो तो चेपे (अल/माहू) का आक्रमण हो सकता है.
10 प्रतिशत पुष्पित पौधों पर औसतन 13 कीट प्रति पौधा होने पर - 250 से 400 मि.ली. मिथाईल डेमेरान (मेरा सिस्टाक्स) 25 ई. सी. या डाईमेथोएट (रोगोर) 30 ई. सी0 को 250-400 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ फसल पर स्प्रे करें.
मधुमक्खियों को बचाने के लिए स्प्रे दोपहर 3 बजे के बाद ही करें.
यदि जरूरत हो तो 15 दिन बाद फिर दोहराएं.
यदि सफेद रतुआ व डाउनी मिल्ड्यू के लक्षण फसल पर दिखाई दें तो रोकथाम के लिए 600 ग्राम मैन्कोजेब (डाईथेन या इण्डोफिल-एम-45) का 250-300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.