भारत में धान की खेती का रकबा समय के साथ बढ़ता जा रहा है. खेती के साथ-साथ खपत भी बढ़ती जा रही है. इस मांग को पूरा करने के लिए किसान इसकी खेती करते नजर आते हैं. वहीं, कुछ किसान ऐसे भी हैं जो धान की खेती करने से कतराते नजर आते हैं. उन किसानों का कहना है कि धान की खेती में सिंचाई के लिए सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है. वहीं, समय पर बारिश न होने से उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और फसल भी खराब हो जाती है. लेकिन अब इस समस्या का समाधान बेहद आसान और सस्ता हो गया है. आपको बता दें कि किसान अपनी इस समस्या का समाधान बेहद आसानी से कर सकते हैं.
आप सभी ने कभी न कभी नारियल जरूर खाया होगा और डाभ का पानी भी पिया होगा. तो बस अब उसी नारियल और डाभ का इस्तेमाल कर आप आसानी से कम खर्च और कम पानी में धान की खेती कर सकते हैं. दरअसल नारियल के कोपरे और डाभ का इस्तेमाल कर एक ऐसा खाद बना सकते हैं जो धान की खेती के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. क्या है ये पूरा मामला आइए जानते हैं.
दरअसल धान की खेती में बुवाई से लेकर कटाई तक चार बार सिंचाई की जरूरत होती है. जिससे किसानों का खर्च काफी बढ़ जाता है. इस खर्च से बचने के लिए किसान पीछे हट जाते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं है. आप नारियल के छिलकों और डाभ का इस्तेमाल करके आसानी से खाद बना सकते हैं. इसके लिए आपको ज्यादा मेहनत करने की भी जरूरत नहीं है. नारियल के छिलकों और डाभ को अच्छे से सड़ाकर खाद बनानी होती है. और उस खाद को धान के खेतों में छिड़कना होता है.
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ये खाद खेतों में मौजूद पानी को सोख लेती है और मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनाए रखती है. जिसकी मदद से किसानों को चार सिंचाई की जगह सिर्फ एक सिंचाई करने की जरूरत होती है. बाकी 3 सिंचाई का काम आपके ये खाद करता है. जिस वजह से यह ना सिर्फ पानी की बचत करता है बल्कि सिंचाई में लगने वाले किसानों के पैसों की भी बचत करता है.
आपको बता दें कि अगर आप अपने खेतों में इस खाद का 1 किलो इस्तेमाल करते हैं तो यह 1 किलो खाद 10 लीटर पानी सोख लेती है. इसलिए आप अपने खेतों के आकार के हिसाब से इस खाद का इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं. इसे बनाने की लागत भी बहुत कम है और यह अन्य तरीकों से ज़्यादा लाभदायक भी है.
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