प्याज का दाम इंटरनेशन मार्केट में लगभग 100 रुपये किलो चल रहा है जबकि महाराष्ट्र के किसानों को इस समय प्याज़ का दाम 3 से 15 रुपये प्रति किलो तक ही मिल रहा है. किसान इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई प्याज की निर्यातबंदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. निर्यातबंदी के चार महीने पूरे हो चुके हैं. किसानों का कहना है कि उनका खरीफ सीजन बर्बाद हो गया और अब रबी सीजन में भी लागत से कम दाम पर प्याज बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. प्याज एक्सपोर्टर विकास सिंह का कहना है कि इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज का दाम 100 रुपये किलो से ज्यादा चल रहा है. वही दूसरी ओर महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि अपने देश के किसानों को प्याज के दाम में अंतरराष्ट्रीय तेजी का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. क्योंकि एक्सपोर्ट बंद है.
इस समय महाराष्ट्र में ज्यादातर मंडियों में प्याज का अधिकतम दाम सिर्फ 15 रुपये किलो तक है. जबकि दिघोले का कहना है कि 15 से 20 रुपये किलो तो लागत आ रही है. ऐसे में किसानो को सिर्फ नुकसान ही हो रहा है. दिघोले ने आगे बताया कि निर्यातबंदी की वजह से किसान चार महीने से सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. कुछ किसानों में निर्यातबंदी से इतना अधिक गुस्सा है कि वो लोकसभा चुनाव में उन लोगों को सबक सिखाने की बात कर रहे हैं जिनकी वजह से निर्यातबंदी हुई है और अब उन्हें सही दाम नहीं मिल पा रहा है.
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दिघोले का कहना है कि सरकार ने महंगाई कम करने के नाम पर सबसे पहले अगस्त 2023 में एक्सपोर्ट पर 40 फीसदी ड्यूटी लगाई. इसके खिलाफ महाराष्ट्र की कई मंडियों में व्यापारियों और किसानों की हड़ताल रही. इसके बाद 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया. इसके बाद 7 दिसंबर की रात निर्यातबंदी कर दी. निर्यातबंदी 31 मार्च 2024 तक के लिए लागू की गई थी लेकिन सरकार ने अब इसे अनिश्चितकाल के लिए आगे बढ़ा दिया है.
अब हमें उम्मीद नहीं है कि हम रबी सीजन के प्याज को ठीक दाम पर बेच पाएंगे. किसान के घर से पांच रुपये किलो पर खरीदा गया प्याज व्यापारी 40 रुपये में बेच रहे हैं. जो महंगाई बढ़ा रहा है उसे सरकार कुछ नहीं कह रही है जबकि जो चार महीने की मेहनत करने के बाद फसल पैदा कर रहा है उन किसानों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है.
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