महाराष्ट्र में प्याज की खेती करने वाले किसान इस साल छटपटा रहे हैं. काफी समय बाद इस साल अच्छा दाम मिलने की संभावना थी लेकिन सरकार ने निर्यात बन्दी करके किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. चार महीने से प्याज का निर्यात नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से स्थानीय मंडियों में आवक बढ़ी है. ज्यादा प्याज की आवक के कारण दाम गिर गए हैं. किसान इस बात से काफी परेशान हैं. किसानों का आरोप है कि निर्यातबन्दी के कारण प्याज के दाम 60 प्रतिशत से ज्यादा गिर गए हैं. सरकार इस घाटे की भरपाई करे वरना चुनाव में नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे.
अहमदनगर के किसान बाजीराव गागरे का कहना है कि इस समय मंडियों में किसान 1000 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल पर प्याज बेच रहे हैं. लेकिन अगर निर्यातबन्दी न होती तो दाम इस समय 40 रुपये किलो मिल रहा होता. क्योंकि इस साल प्याज का उत्पादन कम है. किसानों के इस घाटे की भरपाई कैसे होगी. हमैं उम्मीद थी कि सरकार अपने वादे के अनुसार 1 अप्रैल 2024 से प्याज की निर्यातबन्दी खत्म कर देगी लेकिन ऐसा नहीं किया, बल्कि निर्यातबन्दी को अनिश्चित काल के लिए आगे बढ़ा दिया. इसलिए आगे भी भविष्य नहीं दिख रहा है.
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महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि सरकार हमें बताए कि क्या प्याज की खेती करने वाले किसान इस देश के नागरिक नहीं हैं. प्याज उगाने वाले किसानों ने कौन सी गलती की है कि उन्हें लगातार दबाया जा रहा है. अगर किसान 20 रुपये किलो की लागत लगाते हैं तो क्या उन्हें 30 रुपये किलो का रेट नहीं मिलना चाहिए. हम कभी नहीं कहते कि 100 रुपये किलो प्याज बिके. हम सिर्फ यह चाहते हैं कि हमें हमारी लागत के ऊपर दाम मिले. दिघोले का कहना है कि सरकार ने किसानों की आय डबल करने का नारा लगाया था. हम पूछना चाहते हैं कि क्या कृषि उपज का दाम घटाकर किसानों की आय डबल होगी?
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