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महंगाई के मोर्चे पर उपभोक्ताओं और सरकार के लिए राहत भरी खबर, ग्रीष्मकालीन फसलों का एरिया बढ़ा

महंगाई के मोर्चे पर उपभोक्ताओं और सरकार के लिए राहत भरी खबर, ग्रीष्मकालीन फसलों का एरिया बढ़ा

ट्रेडर्स के संगठन कैट ने कहा है कि धान, दलहन और तिलहन सभी का एरिया बढ़ने से मिलेगी उपभोक्ताओं और सरकार को राहत. कैट के महामंत्री शंकर ठक्कर ने कहा कि भारत दलहन और तिलहन दोनों का आयातक है इसलिए इन दो फसलों की जितनी खेती बढ़ेगी उतना ही अच्छा रहेगा.  

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दलहन और तिलहन सभी का बुवाई का एरिया बढ़ा दलहन और तिलहन सभी का बुवाई का एरिया बढ़ा

कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री शंकर ठक्कर ने कहा है धान, दलहन और तिलहन के ग्रीष्मकालीन फसल का रकबा 11 बढ़ना उपभोक्ताओं और सरकार दोनों को राहत देगा. पिछले वर्ष से वैश्विक तौर जलवायु परिवर्तन और कुछ देशों के बीच चल रही जंग के कारण अनाज, दलहन और तिलहन के दामों में लगातार वृद्धि देखने को मिली है. ऐसे में घरेलू स्तर पर कीमतों को काबू रखने के लिए कई चीजों के निर्यात पर या तो पूरी तरह से रोक लगा दी है या फिर उस पर शर्तें लगा दी हैं. फिर भी दाम काबू से बाहर होते जा रहे हैं. सरकार और जनता दोनों महंगाई के मोर्चे पर जूझ रहे हैं.

ठक्कर ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा कि इस वर्ष लोकसभा चुनाव होने के नाते सरकार की चिंता और भी बढ़ी हुई है. लेकिन ऐसे में एक राहत भरी खबर आई है.  कुछ राज्यों में कम जलाशय स्तर जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत की ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई में 11 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. धान, दलहन और तिलहन सभी का एरिया बढ़ा है. धान की खेती 10 प्रतिशत बढ़कर 28.42 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जबकि उड़द और मूंग की खेती बढ़ने से दालों का रकबा 24
प्रतिशत बढ़ गया है. तिलहन के रकबे में भी 4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, मूंगफली और तिल की खेती पिछले साल के स्तर को पार कर गई है.

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धान की बुवाई बढ़ना फायदेमंद

ठक्कर ने कहा कि ग्रीष्मकालीन धान की बुआई 10 प्रतिशत बढ़ गई है, जो पिछले साल के 25.88 लाख हेक्टेयर की तुलना में 28.42 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो गर्मी के मौसम की मजबूत शुरुआत का संकेत दे रही है. भारत ने कई तरह के चावल एक्सपोर्ट पर रोक लगा रखी है, इस परिस्थिति में धान की खेती का रकबा बढ़ना देश और उपभोक्ताओं दोनो के लिए अच्छा है. उनका कहना है कि ग्रीष्मकालीन फसल की खेती में मजबूत वृद्धि आने वाले महीनों में भारत के कृषि क्षेत्र के लिए सकारात्मक रुख तय करती है.

दलहन-तिलहन की बुवाई बढ़ने से राहत

ठक्कर अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष भी हैं. उनका कहना है कि दलहन और तिलहन में आशाजनक रुझान दिखाई दे रहे हैं. दलहन का रकबा 24 प्रतिशत बढ़ गया है, जो मुख्य रूप से उड़द और मूंग की बढ़ती खेती के कारण है. तिलहन के रकबे में भी 4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, मूंगफली और तिल की खेती पिछले साल से ज्यादा है. भारत दलहन और तिलहन दोनों का आयातक है इसलिए इन दो फसलों की जितनी खेती बढ़ेगी उतना ही अच्छा रहेगा.

 

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