दालों की महंगाई दर लगातार 6 माह से दोहरे अंक में चल रही है, जिसकी वजह से फरवरी की खाद्य मुद्रास्फीति दर 8.6 फीसदी के पार चली गई. दालों की कीमतों में कई प्रयासों के बावजूद राहत नहीं मिलने पर केंद्र सरकार ने दाल स्टॉक को लेकर सख्ती कर दी है. सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए दाल आयातकों, मिल मालिकों, स्टॉकिस्टों, व्यापारियों और मिल प्रोसेसर्स के लिए 15 अप्रैल से सभी दालों के अपने स्टॉक का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया है. लिमिट 15 अप्रैल से पहले उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय अधिकारियों और स्टेकहोल्डर्स की बैठक में घोषित किए जाने की संभावना है. बता दें कि केंद्र सरकार पहले भी स्टॉक लिमिट का खुलासा करने की सख्ती लगा चुकी है.
केंद्र सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के कई प्रयासों के बाद कस्टम ड्यूटी गोदामों में आयातित दालों को बड़ी मात्रा में स्टॉक करने या रोके रखने की शिकायतों के बाद सख्ती बढ़ाने का फैसला किया है. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र ने सभी दाल आयातकों, मिलर्स समेत दाल व्यापार से जुड़े कारोबारियों को दाल स्टॉक का खुलासा करने को कहा है. इसको लेकर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधिकारी स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठकें करेगा. इसमें सीमा शुल्क गोदामों में पड़ी आयातित दालों को बाजार में लाने के उपायों पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा.
सरकार दाल व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं के लिए पीली मटर, तूर और उड़द के स्टॉक का खुलासा करना अनिवार्य करेगी. क्योंकि कुछ बाजारों में कीमतें 5 अप्रैल के बाद बढ़ती प्रवृत्ति को दिखा रही हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार दाल खपत को पूरा करने के लिए एमएसपी रेट पर चना खरीदना शुरू कर दिया है. मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार ने कीमतों की जांच करने और राज्यों की मांग को पूरा करने के लिए बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए 5,440 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से चना खरीदन रही है.
रिपोर्ट के अनुसार चना के उत्पादन को लेकर कोई चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय ने संकेत दिया है कि चने की पैदावार बरकरार है और उत्पादन 121 लाख मीट्रिक टन होगा जो कि पिछले साल के 122 लाख मीट्रिक टन से थोड़ा ही कम है. चने की फसल की आवक बढ़ने के साथ मंडी की कीमतें नरम हो गई हैं और एमएसपी स्तर पर पहुंच गई हैं. जबकि, पिछले सप्ताह तक मंडी कीमतें एमएसपी रेट से ऊपर चल रही थीं. राज्य सरकारों की ओर से उनकी कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से वितरण के लिए चने की मांग बढ़ने से स्टॉक पर दबाव है.
पहले तीन या चार राज्य ही कल्याणकारी योजनाओं के लिए बफर स्टॉक से चना लेते थे. लेकिन, अब 16 राज्य पोषण सुरक्षा को पूरा करने के लिए चने का बफर स्टॉक ले रहे हैं. कर्नाटक, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश जैसे चार और राज्यों ने चने के लिए केंद्र से अनुरोध किया है. जबकि, बाजार भाव से सस्ती कीमत में केंद्र सरकार भारत ब्रांड चना दाल बेच रही है. अच्छी किस्म की चना दाल बाजार में 150 रुपये प्रति किलो बिक रही है तो भारत ब्रांड चना दाल केवल 60 रुपये प्रति किलो कीमत पर सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से बेच रही है. भारत चना दाल के लिए भी सरकार चना की खरीद कर रही है.
कई महीनों से दालों की ऊंची कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं. दालों की थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति फरवरी में 18.48% थी, जो जनवरी में 16.06% थी. जबकि, पिछले 6 महीने से दालों की महंगाई दर दोहरे अंक पर चल रही है. अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर सरकार ने खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए तेजी से प्रयास कर रही है. इसके लिए सरकार ने निर्यात प्रतिबंध लगाए, स्टॉक लिमिट में कर दिया है, अपने स्वयं के स्टॉक को बाजार में उतारने के साथ ही आयात शुल्क भी हटा दिया है.
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