कृषि वैज्ञानिकों ने जई की नई किस्म HFO 906 को विकसित करने की है, जिसे हरियाणा, पंजाब और राजस्थान समेत 4 राज्यों में बुवाई के लिए केंद्रीय बीज समिति से अनुमोदन मिल गया है. जई की यह हरे चारे के रूप में पशुपालक इस्तेमाल कर सकेंगे और यह पशुओं की दूध मात्रा बढ़ाने में कारगर है. नई विकसित की गई जई की किस्म में कई पोषक तत्वों की मात्रा अधिक है, जिसके कारण यह पशुओं के लिए बेहद लाभकारी है. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि उत्तर पश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ होगा.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के चारा अनुभाग ने जई की नई उन्नत किस्म एचएफओ 906 (जई HFO 906) विकसित की हैं. दावा है कि यह जई की किस्म पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाने में कारगर है. उत्तर पश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को इस किस्म से बहुत लाभ होगा.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि इस जई एचएफओ 906 किस्म में प्रोटीन की मात्रा व पाचनशीलता अधिक होने के कारण ये पशुओं के लिए बहुत उत्तम हैं. उन्होंने बताया कि देश में 11.24 प्रतिशत हरे और 23.4 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है, जिसके कारण पशुओं की उत्पादकता प्रभावित हो रही है. चारे की अधिक गुणवत्तापूर्ण और ज्यादा पैदावार देने वाली किस्में विकसित होने से पशुपालकों को लाभ होगा. इससे पशुओं की उत्पादकता भी बढ़ेगी.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि जई एचएफओ 906 किस्म राष्ट्रीय स्तर की चैक किस्म कैंट और ओएस 6 से भी 14 फीसदी तक अधिक हरे चारे की पैदावार देती है. जई की एचएफओ 906 एक कटाई वाली किस्म है. उन्होंने बताया भारत सरकार की केन्द्रीय बीज समिति की सिफारिश पर जई की एचएफओ 906 किस्म को देश के उत्तर-पश्चिमी जोन हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व उतराखंड के लिए समय पर बुवाई के लिए अनुमोदन मिला है.
कुलपति ने कहा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की विकसित की गई फसलों की किस्मों का न केवल हरियाणा बल्कि देश के अन्य राज्यों के किसानों को भी लाभ हो रहा है. यहां से विकसित किस्मों की मांग अन्य प्रदेशों में भी लगातार बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों लगातार नई खोजों पर काम कर रहे हैं.
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके पाहुजा ने कहा कि जई एचएफओ 906 किस्म की हरे चारे की औसत पैदावार 655.1 क्विंटल व सूखे चारे की औसत पैदावार 124.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है. इसकी बीज की औसत पैदावार 27.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, जबकि क्रूड प्रोटीन की पैदावार 11.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है. इस किस्म के चारे में प्रोटीन की मात्रा 10 प्रतिशत है, जिसके कारण इसके चारे की गुणवत्ता पशुओं के लिए अधिक लाभदायक है.
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