केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2024 के बाद भी प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन जारी रखने का फैसला किया है. इस फैसले के बाद प्याज का दाम और टूट गया है. इससे पूरे रबी सीजन में किसानों को आर्थिक नुकसान की संभावना और बढ़ गई है. पुणे जिले के आम्बेगांव तहसील में स्थित मंचर (Manchar) मंडी में इस फैसले के बाद न्यूनतम दाम गिरकर सिर्फ 60 रुपये प्रति क्विंटल रह गया. मैं लिखने में कोई गलती नहीं कर रहा हूं. इसलिए दोहरा रहा हूं कि 60 पैसे प्रति किलो. अब केंद्र सरकार के इस फैसले से किसानों को जो ये तोहफा मिला है उसका लोकसभा चुनाव में क्या असर पड़ेगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन आम जनता को यह समझने की जरूरत जरूर है किसान अपने दिल पर पत्थर रखकर अपनी उपज बेच रहे हैं.
इस मंडी में 24 मार्च को 6429 क्विंटल प्याज की आवक हुई. न्यूनतम दाम 60 रुपये क्विंटल जबकि अधिकतम भाव 1800 और मॉडल प्राइस 1200 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अहमदनगर जिले की राहाता मंडी और पुणे की जुन्नर मंडी में प्याज का न्यूनतम दाम सिर्फ 2 रुपये किलो रहा. किसानों का कहना है कि दाम में इतनी गिरावट सरकार के नए फैसले की वजह से आ रही है. केंद्र सरकार ने 22 मार्च को एक नोटिफिकेशन जारी करके कहा था कि प्याज पर एक्सपोर्ट बैन 31 मार्च के बाद भी जारी रहेगी.
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महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि रबी सीजन प्याज किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस सीजन में भी सरकार ने एक्सपोर्ट बैन जारी रखकर किसानों को जो चोट पहुंचाई है उसे वो कभी भूल नहीं पाएंगे. सरकार उपभोक्ताओं को कम दाम पर प्याज देना चाहती है अच्छी बात है. लेकिन वो किसानों की गर्दन काटकर ऐसा न करे. किसानों को सरकार सही दाम देकर खुद प्याज खरीदे और गेहूं-चावल की तरह फ्री में बांट दे, हमें कोई ऐतराज नहीं होगा. लेकिन किसानों को बर्बाद करके उपभोक्ताओं को खुश रखना चाहती है, यह नीति देश को नुकसान पहुंचा सकती है. क्योंकि किसान प्याज की खेती छोड़ देंगे तो फिर खाद्य तेलों और दलहन की तरह प्याज का भी आयात करना पड़ेगा.
कम दाम से परेशान किसान अपनी पुरानी चेतावनी पर अमल करते हुए प्याज की खेती का दायरा कम कर रहे हैं. क्योंकि आखिर वो घाटे में कब तक खेती करेंगे. खेती कम करने का असर उत्पादन पर दिखाई दे रहा है. केंद्र सरकार ने बताया है कि वर्ष 2023-24 में प्याज का उत्पादन (पहला अग्रिम अनुमान) पिछले वर्ष के लगभग 302.08 लाख टन उत्पादन की तुलना में 254.73 लाख टन ही रहने का अनुमान है. यानी उत्पांदन में 47 लाख टन से अधिक की गिरावट हो सकती है, जिससे भविष्य में प्याज की कीमत लहसुन की तरह काफी ऊंचाई पर जा सकती है. महाराष्ट्र में पिछले साल के मुताबिक 34.31 लाख टन प्याज का कम उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है.
बाजार के जानकारों का मानना है कि अगर किसानों ने प्याज को तीन-चार महीने तक स्टोर कर लिया तो उन्हें अच्छा दाम मिल सकता है. क्योंकि इस साल देश में प्याज का उत्पादन काफी कम है. जिन किसानों को तुरंत पैसे की जरूरत है उनके सामने औने-पौने दाम पर प्याज बेचना मजबूरी है. लेकिन जिन किसानों के पास स्टोर मौजूद है उन्हें प्याज को अभी रोकने की जरूरत है. हालांकि प्याज उत्पादक संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि कुछ ही किसानों के पास प्याज रखने के स्टोर मौजूद हैं.
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