होली आने से पहले ही आलू की कीमत में आग लग गई है. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकता में पिछले तीन दिनों के अंदर आलू की खुदरा कीमतें तेजी से बढ़ी हैं. महंगाई का आलम यह है कि ज्योति किस्म की कीमत 22 रुपये से बढ़कर 23 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है, वहीं चंद्रमुखी आलू की कीमत 25 रुपये से बढ़कर 30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. व्यापारियों का कहना है कि कीमतों में यह उछाल आगे भी जारी रहने की संभावना है. कहा जा रहा है कि इस बार प्रदेश में लगातार बारिश के कारण आलू की फसल को काफी नुकसान हुआ है. इसी के चलते कीमतें बढ़ रही हैं.
द टाइम्स ऑफि इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर के अंत में हुई बारिश ने आलू की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था. ऐसे में किसानों को दोबारा बीज बोने पड़े. अब, हालिया बारिश ने राज्य की लगभग आधी आलू की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है. ऐसी आशंकाएं बढ़ रही हैं कि इस वर्ष आलू का उत्पादन पिछले वर्षों की तुलना में कम से कम 30 फीसदी कम हो सकता है, जिससे संभावित रूप से खुदरा कीमतों में और वृद्धि हो सकती है. बंगाल पोटैटो ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लालू मुखर्जी ने कहा कि किसान, व्यापारी और उपभोक्ता समान रूप से आलू की आपूर्ति में कमी और बाजार में बढ़ती मांग के आर्थिक नतीजों के लिए तैयार हैं.
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बंगाल किसान और विक्रेता संघ के अध्यक्ष कमल डे ने कहा कि आलू के अलावा, प्रतिकूल मौसम की स्थिति ने हुगली, हावड़ा और बर्दवान के निचले इलाकों में परवल और तुरई जैसी अन्य ग्रीष्मकालीन फसलों को भी प्रभावित किया है. बीमा एजेंट और बरिशा निवासी अग्निभा सरकार ने कहा कि आलू की कीमतें बढ़ने से अन्य सब्जियों के रेट पर भी असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि हालांकि, जब आलू की कीमतें बढ़ती हैं, तो यह हमारे घरेलू बजट को काफी प्रभावित करती है, जिसका असर रसोई के खर्चों पर पड़ता है.
वहीं, जानकारों का कहना है कि एक बीघे में आलू की खेती की लागत बढ़कर 25,000-30,000 रुपये प्रति बीघे हो गई है. साथ ही उपज में भारी नुकसान की चिंता भी बढ़ गई है. आलू के अलावा, मूंग, लाल मसूर, बंगाल चना, लीमा बीन्स और प्याज सहित कई अन्य रबी फसलों को लगातार बारिश और जलभराव के कारण नुकसान का सामना करना पड़ा है. किसान अपनी चिंताओं को व्यक्त कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर उत्पादन में गिरावट आती है, तो लागत निकालना मुश्किल हो जाएगा.
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