महाराष्ट्र में इस समय सिर्फ प्याज़ की खेती करने वाले किसान ही परेशान नहीं बल्कि कपास और सोयाबीन की खेती करने वाले किसान भी इसी तरह की समस्या को झेल रहे हैं. राज्य की कई मंडियों में किसानों को सोयाबीन का दाम एमएसपी से बहुत कम मिल रहा है. जबकि इसकी गिनती तिलहन और दलहन दोनों फसलों में होती है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी के अनुसार 22 मार्च को लासलगांव विंचुर मंडी में सोयाबीन का न्यूनतम दाम सिर्फ 3000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. तो वही राहुरी में भी न्यूनतम दाम सिर्फ 3000 रुपये प्रति क्विंटल ही रहा. जो किसानों को पड़ने वाली उत्पादन लागत से भी कम है. केंद्र सरकार ने बताया है कि सोयाबीन की लागत प्रति क्विंटल 3029 रुपये आती है.
महाराष्ट्र सोयाबीन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन यहां के किसान इसकी खेती करके बहुत पछता रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी लागत तक नहीं मिल पा रही है. जो लोग तिलहन फसल उगा रहे हैं किसान परेशान हैं जबकि दूसरी ओर सरकार बड़े पैमाने पर खाद तेल इम्पोर्ट कर रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर जिस चीज का इंपोर्ट होता है उससे जुड़ी कृषि उपज का दाम महंगा होता है लेकिन सोयाबीन के मामले में ऐसा नहीं हो रहा.
ये भी पढ़ें: Onion Export Ban: जारी रहेगा प्याज एक्सपोर्ट बैन, लोकसभा चुनाव के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को दिया बड़ा झटका
इस साल सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4600 रुपये प्रति क्विंटल है.नजबकि महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार राज्य की अधिकांश मंडियों में 3500 से 4500 रुपये का भाव चल रहा है. जिससे किसानों में भारी निराशा है. कुछ मंडियों में सिर्फ 3000 का रेट भी चल रहा है. भारत खाद्य तेलों का बहुत बड़ा आयातक है इसलिए सोयाबीन की खेती बहुत महत्वपूर्ण है. इसके बावजूद दाम कम मिलने से किसान परेशान हैं. जबकि 2021 में सोयाबीन का दाम सबसे ज्यादा 11000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था. तब इसका एमएसपी भी काफी कम था.
ये भी पढ़ें: नासिक की किसान ललिता अपने बच्चों को इस वजह से खेती-किसानी से रखना चाहती हैं दूर
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today