एग्रीकल्चर कमोडिटी ट्रेडिंग का काम करने वाले नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) कमोडिटी रिसर्च और अन्य पहलुओं पर काम करने के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस खोलने की तैयारी कर रहा है. यह सेंटर गुजरात के आणंद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (IRMA) में खुलेगा. एनसीडीईएक्स देश का दूसरा सबसे बड़ा कमोडिटी एक्सचेंज है तो इरमा रूरल मैनेजमेंट की पढ़ाई करवाने वाला देश का सबसे नामी शिक्षण संस्थान है. जिसकी स्थापना श्वेत क्रांति के जनक वर्गीस कुरियन ने की थी. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का मकसद किसानों सहित एग्री कमोडिटी (कृषि वस्तु व्यापार) इको सिस्टम से जुड़े सभी लोगों के लिए रिसर्च, इनोवेशन और ज्ञान प्रसार को आगे बढ़ाना है. यह कृषि और ग्रामीण विकास दोनों पर फोकस करके काम करेगा.
इसका पूरा नाम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इरमा-एनसीडीईएक्स होगा. यह सेंटर वायदा बाजार में किसानों की भूमिका को और बढ़ाने का काम भी करेगा. उनको इससे जोड़ने और फायदा दिलाने की कोशिश होगी. क्योंकि अभी तक एक्सचेंज में किसान बहुत कम ट्रेडिंग करते हैं. सेंटर के जरिए किसानों, व्यापारियों और नीति निर्माताओं सहित कृषि बाजारों में शामिल लोगों के ज्ञान और कौशल को मजबूत किया जाएगा. कोशिश होगी कि किसान अपनी उपज का अच्छा भाव हासिल कर सकें. वो बाजार के प्रति जागरूक हो सकें.
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सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए एक संचालन समिति बनाई गई है. जिसमें अडानी ग्रुप के सीईओ अतुल चतुर्वेदी, पतंजलि फूड रुचि सोया के सीईओ संजीव अस्थाना, कॉन्फेडेरेशन ऑफ एनजीओ ऑफ रूरल इंडिया (CNRI) के सेक्रेट्री जनरल बिनोद आनंद, आईआईटी खड़गपुर की प्रोफेसर प्रबीना राजीब, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (NIFM) के प्रोफेसर आलोक मोहन शैरी, बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनाविस और एनसीडीईएक्स के दो सदस्य शामिल हैं. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इरमा-एनसीडीईएक्स के कोर्डिनेटर इरमा के प्रोफेसर राकेश अरावतिया को बनाया गया है.
यह काम करने के लिए सेंटर वार्षिक सम्मेलनों और संगोष्ठियों का आयोजन करके उद्योग विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और अन्य लोगों के बीच एक मंच बनेगा. ट्रेडिंग की बेस्ट प्रेक्टिस और इनोवेशन का आदान-प्रदान होगा. यही नहीं, इसके जरिए कृषि बाजारों की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार का काम भी होगा. पॉलिसी बनाने में भी इसका योगदान होगा. अकादमिक और उद्योग विशेषज्ञों के बीच निरंतर सहयोग बढ़ाने के मकसद को भी इसके जरिए पूरा किया जाएगा. जो भी काम है उसको वैज्ञानिक तरीके से जनता और किसानों के सामने रखा जाएगा. अक्टूबर तक यह सेंटर काम शुरू कर सकता है. इसे बनाने को लेकर एनसीडीईएक्स और इरमा के बीच एमओयू पहले ही हो चुका था.
एनसीडीईएक्स फार्मर्स प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशंस (FPO) के जरिए वायदा कारोबार के लिए किसानों को प्रोत्साहित करता रहा है, ताकि वो अपने कृषि उत्पादों के लिए सही दाम पा सकें. इसके मान्यता प्राप्त वेयरहाउस में किसान अपनी उपज रखकर वहां से मिलने वाली डिपॉजिट रसीद पर लोन भी लेते हैं. किसानों को वायदा बाजार के संबंध में जानकारी देने के लिए यह समय-समय पर कार्यक्रम करता है. लेकिन, अधिकांश किसान अभी इसके कामकाज से अनजान हैं. यही नहीं बहुत सारे राज्यों में एनसीडीईएक्स की भागीदारी बहुत कम है. जिसे पूरा करने में इरमा मदद करेगा. दरअसल, इरमा ग्रामीण प्रबंधन का बेहतरीन संस्थान है. भारत गांव में बसता है और गांव के बारे में इरमा से बेहतर कोई और संस्थान नहीं जान सकता. इसलिए यहां पर सेंटर बन रहा है.
भविष्य में इरमा यह भी बताएगा कि और कौन-कौन सी फसलें इसमें और आनी चाहिए ताकि किसानों को इसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके. बताया गया है कि इरमा इसमें कोआपरेटिव को भी जोड़ सकता है. ताकि जमीनी स्तर तक यह बात पहुंचे कि वायदा बाजार या स्पॉट मार्केट क्या है. इसका फायदा कैसे मिलेगा. फिलहाल, देखना यह है कि सेंटर बनने के बाद किसानों और कमोडिटी ट्रेडिंग करने वालों को कितना फायदा मिलता है.
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एनसीडीईएक्स एक प्राइवेट बॉडी है जो मुख्य तौर पर सीरियल क्रॉप्स की ट्रेडिंग करती है. लेकिन, इसके बड़े शेयरधारकों की लिस्ट पढ़कर आप आसानी से समझ सकते हैं कि यह कृषि क्षेत्र के लिए कितना महत्वपूर्ण है. इसमें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), की सबसे ज्यादा 15 फीसदी की हिस्सेदारी है. एलआईसी के पास 11.10, नाबार्ड के पास 11.10 और दुनिया की नंबर वन सहकारी कंपनी इफको के पास 10 फीसदी शेयर हैं.
इसी तरह ओमान-इंडिया ज्वाइंट इन्वेस्टमेंट फंड की 10, पंजाब नेशनल बैंक की 7.29, केनरा बैंक-मुंबई की 6.03 और इन्वेस्टकॉर्प प्राइवेट इक्विटी फंड-1 के 5 फीसदी शेयर हैं. बिल्ड इंडिया कैपिटल एडवाइजर्स एलएलपी की 5, रेणुका शुगर्स लिमिटेड की 5 और क्रिसिल लिमिटेड की 3.70 फीसदी का शेयर है. इसमें जेपी कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड और स्टार एग्रीवेयर हाउसिंग एंड कोलैट्रल मैनेजमेंट लिमिटेड के भी शेयर हैं.
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