महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से जारी बारिश आफत बन चुकी है. कई किसानों को यह बारिश तबाह कर चुकी है और अब यही डर गन्ने के किसानों को सता रहा है. इस साल मॉनसून कोल्हापुर में गन्ने की खेती करने वालों के लिए मनहूस बन गया है. यहां के भुधारगढ़ तालुका में गन्ने की फसल को बदलते मौसम की चुनौतियों से गुजरना पड़ा है. नदी के किनारे खड़ी गन्ने की फसलें संकट में हैं और इस साल माना जा रहा है कि राज्य में गन्ने का उत्पादन कम होगा.
वेबसाइट अग्रोवन की रिपोर्ट के अनुसार इस साल बेमौसमी बारिश, बाढ़, प्री-मॉनसून और मॉनसून की बारिश ने कोल्हापुर जिले में परेशानियों को बढ़ा दिया है. लगातार तीन महीने से मॉनसून का दौर जारी है. इसका नतीजा है कि कुछ जगहों पर खरीफ की फसलों की बुआई ही पूरी नहीं हो पाई है. खेतों में पानी जमा है और सभी फसलों की वृद्धि रुक गई है. गन्ना जो यहां के भुधारगढ़ तालुका की अहम फसल है, उस पर भी लगातार हो रही बारिश का असर पड़ा है. लगातार बारिश के चलते इस साल गन्ने के साथ ही चीनी का उत्पादन भी घटने की आशंका है.
जिले में गन्ने का क्षेत्रफल 1 लाख 86 हजार 215 हेक्टेयर है लेकिन इस साल यह 1 लाख 96 हजार 341 हेक्टेयर के क्षेत्र में बोया गया था. लेकिन इस साल हुई बारिश ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. इस अहम फसल पर अब खतरा मंडराने लगा है. इस साल हुई भारी बारिश ने गन्ने की वृद्धि को प्रभावित किया है. अगले 10 से 15 दिनों में बारिश से कुछ राहत अगर नहीं मिली तो फिर गन्ने के उत्पादन में कमी आने का खतरा है.
राज्य में इस बार मॉनसून ने मई में ही दस्तक दे दी थी जब जुताई का काम जारी था. अभी तक कई जगहों पर जुताई का पूरा भी नहीं हो सका है. बुआई का काम भी 100 फीसदी तक नहीं हुआ है और बीज बोने में भी काफी दिक्कतें आईं. बीच में बारिश कम होने की वजह दाल की बुआई भी पूरी नहीं हो सकी है. ऊंचे इलाकों में भी काम अभी तक अधूरा है. राज्य कृषि विभाग के प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, 9 से 19 अगस्त के बीच हुई मूसलाधार बारिश से महाराष्ट्र के 19 जिलों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा की कृषि भूमि प्रभावित हुई है.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today