शरद ऋतु की ठंडक शुरू होते ही किसानों के लिए सरसों की बुवाई का सुनहरा मौका आ गया है. यह फसल न केवल तेल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि खली, पशु चारा और निर्यात के लिए भी बहुत लाभकारी मानी जाती है. सरसों की खेती किसानों की आय बढ़ाने का एक मजबूत जरिया बन सकती है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) का कहना है कि अगर किसान सही समय पर बुवाई करें और उन्नत किस्मों का चुनाव करें, तो उन्हें प्रति हेक्टेयर 30–35 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है.
सरसों की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच माना जाता है. इस समय बुवाई करने से:
IARI ने कुछ Low Erucic Acid किस्में विकसित की हैं जो स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और उपज में बेहतर हैं. ये किस्में हैं:
Double Zero Mustard Varieties में न केवल तेल सुरक्षित होता है, बल्कि इनकी खली भी पोल्ट्री फार्मिंग के लिए उत्तम होती है. इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी का अवसर मिलता है.
यदि आप पारंपरिक किस्मों में भरोसा रखते हैं, तो ये किस्में भी काफी उपज देती हैं:
अगर आप इस बार सरसों की अगेती बुवाई करते हैं और IARI द्वारा अनुशंसित किस्मों का चयन करते हैं, तो निश्चित रूप से आपको अधिक पैदावार, बेहतर तेल गुणवत्ता और अच्छी आमदनी मिल सकती है. देरी न करें, आज ही बुवाई की तैयारी शुरू करें और वैज्ञानिक तरीके अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाएं.
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