एक तो धीमी खरीद, उस पर से बेमौसमी बारिश...करनाल के धान किसानों की डबल चुनौतियां  

एक तो धीमी खरीद, उस पर से बेमौसमी बारिश...करनाल के धान किसानों की डबल चुनौतियां  

अब भीगे हुए धान में अधिक नमी की मात्रा के कारण उसकी खरीदारी ठप पड़ गई है जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. सरकारी एजेंसियों द्वारा धान की खेप अस्वीकार किए जाने से खरीद प्रक्रिया और धीमी हो गई है. किसान बढ़ते आर्थिक नुकसान को लेकर बेहद चिंतित हैं. किसानों ने बताया कि बारिश के समय अधिकांश धान के ढेर खुले में पड़े थे.

Advertisement
एक तो धीमी खरीद, उस पर से बेमौसमी बारिश...करनाल के धान किसानों की डबल चुनौतियां  बारिश में बह रहा किसानों का धान

पंजाब और हरियाणा के कई हिस्‍सों में सोमवार को बारिश हुई है. बारिश ऐसे समय में आई है जब मंडियों में धान की खरीद जारी है. ऐसे में बारिश ने किसानों की चुनौतियों को दोगुना कर दिया है. हरियाणा के करनाल में हुई तेज बारिश ने पहले से ही धीमी सरकारी खरीद से जूझ रहे धान किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है. भारी बारिश के कारण अनाज मंडियों में खुले में पड़ी हजारों टन धान की बोरियां भीग गईं जिससे किसानों में गहरा आक्रोश फैल गया. वहीं इस घटना ने मार्केटिंग बोर्ड की लापरवाही और कमजोर तैयारी की पोल खोल दी है. 

भीगे धान की खरीददारी मुश्किल  

अखबार ट्रिब्‍यून अब भीगे हुए धान में अधिक नमी की मात्रा के कारण उसकी खरीदारी ठप पड़ गई है जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. सरकारी एजेंसियों द्वारा धान की खेप अस्वीकार किए जाने से खरीद प्रक्रिया और धीमी हो गई है. किसान बढ़ते आर्थिक नुकसान को लेकर बेहद चिंतित हैं. किसानों ने बताया कि बारिश के समय अधिकांश धान के ढेर खुले में पड़े थे. मिलर आगे नहीं आ रहे हैं और खरीद एजेंसियां अधिक नमी का हवाला दे रही हैं. यह बारिश हमारी मुश्किलों को और बढ़ा गई है. हम सरकार से मांग करते हैं कि कृषि समुदाय को उचित मुआवजा दिया जाए.

एक किसान यशपाल ने लंबी खरीद प्रक्रिया को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा, 'मैं पिछले तीन दिनों से अनाज मंडी में बैठा हूं लेकिन कोई भी चावल मिलर मेरी फसल नहीं ले रहा. खरीद एजेंसियां और मिलर आते हैं और अधिक नमी का हवाला देकर इसे अस्वीकार कर देते हैं. आज की बारिश ने करनाल मार्केट कमेटी अधिकारियों के सभी दावों की पोल खोल दी  हमारा अनाज पूरी तरह भीग गया.' 

उपज बेचने पर मजबूर किसान 

भारतीय किसान संघ (सर छोटू राम) के प्रवक्ता बहादुर मेहला बालदी ने अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने धान के भंडार को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी. उन्होंने कहा, 'व्यवस्थाएं बहुत खराब थीं. धान को ढकने के लिए पर्याप्त कवर नहीं थे. अब नमी का स्तर बहुत बढ़ गया है, और यह किससे खरीदा जाएगा?' उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ मिलरों, अढ़तियों और खरीद एजेंसियों तथा मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारियों के बीच एक 'संगठित साजिश' के कारण खरीद प्रक्रिया इतनी खराब रही. उन्होंने कहा, 'किसानों को फसल को कम दाम में बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है.' 

किसानों को मिले मुआवजा 

जगदीप सिंह औलख, भारतीय किसान संघ (सर छोटू राम) के कोर कमिटी सदस्य, ने कहा कि राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित नहीं किया कि खरीद एजेंसियां और मिलर सीजन शुरू होने से पहले तैयार हों. उन्होंने कहा कि अब कोई भी मिलर मंडियों में खरीद नहीं कर रहा और मंडियां धान से भरी हुई हैं. बारिश ने स्थिति और बिगाड़ दी है.अधिकारियों ने फसल को सुरक्षित रखने के लिए उचित कवर भी नहीं दिए. उन्होंने किसानों के लिए मुआवजे की मांग भी दोहराई. 

धीमी प्रक्रिया से मुश्किलें बढ़ीं 

उन्होंने यह भी कहा कि धीमी खरीद प्रक्रिया ने किसानों की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है. उनका कहना था कि अगर समय पर खरीद शुरू हो जाती, तो हमें इतने नुकसान का सामना नहीं करना पड़ता. अनाज मंडी में धान से भरा पड़ा है और किसान अपनी फसल उतारने में भी संघर्ष कर रहे हैं. उपायुक्त उत्तम सिंह ने बताया कि मंडी समिति के सचिवों को उचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया, 'खरीद प्रक्रिया को तेज करने के प्रयास किए जा रहे हैं.  खरीद एजेंसियों से कहा गया है कि वे धान की सुचारु तरीके से उठान सुनिश्चित करें.' 

यह भी पढ़ें- 

POST A COMMENT