बिहार सरकार ने कृषि क्षेत्र में विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए चौथा कृषि रोड मैप तैयार किया है. इस रोड मैप के तहत तिलहन फसलों को विशेष महत्व दिया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2025-26 में तेलहनी फसलों के उत्पादन और क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए 2585.031 लाख रुपये यानी करीब 25.85 करोड़ रुपये की धनराशि को मंजूरी दी गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में खाद्य तेल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना और आयात पर निर्भरता कम करना है.
तिलहन फसलें देश की अर्थव्यवस्था और किसानों की आमदनी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इनमें से सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, मूंगफली आदि प्रमुख तेलहन फसलें हैं. तिलहन फसलों का बढ़ता हुआ उत्पादन खाद्य तेल की मांग को पूरा करने में मदद करेगा और तेल के दामों को नियंत्रित करने में सहायक होगा. इसके साथ ही किसानों की आय में भी सुधार होगा क्योंकि तेलहन फसलों की खेती लाभदायक होती है.
राष्ट्रीय खाद्य तेल-तेलहन मिशन के तहत इस योजना को लागू किया जाएगा. 2585.031 लाख रुपये की इस धनराशि का इस्तेमाल तिलहन फसलों के उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न कृषि तकनीकों, बीज वितरण, उर्वरक सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में किया जाएगा. साथ ही तिलहन फसलों के बेहतर प्रबंधन के लिए किसानों को आधुनिक उपकरण और कृषि मशीनरी भी उपलब्ध कराई जाएगी. यह योजना किसानों को जागरूक बनाने और उत्पादन को बढ़ाने में मददगार साबित होगी.
इस योजना से न केवल तिलहन फसलों का क्षेत्रफल बढ़ेगा, बल्कि उत्पादन में भी सुधार होगा. इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और वे अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकेंगे. साथ ही देश का तेल आयात भी कम होगा, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी. तिलहन फसलों की बढ़ोतरी से कृषि क्षेत्र में समग्र विकास होगा और खाद्य तेल की उपलब्धता बढ़ेगी.
चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत तिलहन फसलों को बढ़ावा देना देश के लिए बहुत ही लाभकारी कदम है. ₹25.85 करोड़ की इस योजना से तिलहन फसलों का उत्पादन और क्षेत्रफल दोनों बढ़ेंगे, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होगा और खाद्य तेल की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी. इस योजना के सफल क्रियान्वयन से देश में कृषि क्षेत्र की स्थिति मजबूत होगी और खाद्य सुरक्षा बेहतर होगी.
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