देश में किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी की भी बड़े स्तर पर खेती कर रहे हैं. उससे किसानों की अच्छी कमाई हो रही है. खास कर किसान फूलों की खेती में ज्यादा रूचि ले रहे हैं, क्योंकि मार्केट में अभी फूलों की बहुत अधिक डिमांड है. इनमें से भी मोगरा फूल की बहुत अधिक बिक्री हो रही है. ऐसे में अगर किसान मोगरा की खेती करते हैं, तो उन्हें ज्यादा मुनाफा होगा. लेकिन मोगरा की खेती शुरू करने से पहले किसानों को इनकी किस्मों की बारे में जानकारी होनी चाहिए. क्योंकि वे अच्छी किस्म की खेती नहीं करेंगे, तो आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
कृषि एक्सपर्ट की माने तो मोगरा फूल की खेती करने के लिए मार्च का महीना सबसे अच्छा माना गया है. अगर किसान इस महीने मोगरा फूल के पौधों की रोपाई करते हैं, उन्हें अच्छी उपज मिलेगी. हालांकि, अगर किसान चाहें तो जून, जुलाई, अक्टूबर और नवंबर के महीने में भी मोगरा फूल की खेती की शुरुआत कर सकते हैं. रोपाई करते समय एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 1 मीटर होनी चाहिए. साथ ही एक कतार से दूसरे कतार की दूरी 1 मीटर होनी चाहिए. इसके अलावा लंबाई-चौड़ाई में गड्ढे किए जाने चाहिए.
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मोगरा से इत्र, अगरबत्ती सहित कई तरह की औषधियां भी बनाई जाती हैं. इसके अलावा इसका उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है. खास बात यह है कि मोगरा फूल को चंपा, चमेली और जूही के नाम से भी जाना जाता है. मोगरा फूल को बेल के रूप में भी लगा सकते हैं. अगर मोगरा की किस्म के बारे में बात करें, तो कोयंबटूर 1 और कोयंबटूर 2 अच्छी किस्में की मानी गई हैं. व्यवसायिक खेती के साथ ही आप मोगरा फूल घर के गार्डन में भी उगा सकते हैं. आप चाहें, तो गमले में भी इसके पौधों की रुपाई कर सकते हैं. इसका भी अच्छा ग्रोथ होगा.
एक्सर्ट के मुताबिक, मोगरा के पौधों को प्रयाप्त मात्रा में पानी और सूर्य की रोशनी की जरूरत होती है. गर्मी के दिनों में तपिश और लू से बचाने के लिए अधिक सिंचाई करनी पड़ेगी. साथ ही पौधों के ऊपर नेट का उपयोग कर सकते हैं. ऐसे गर्मी के दिनों में मोगरा फूल की सिंचाई दो दिनों पर करनी चाहिए. इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है. वहीं, मौसम ठंड का हो तो मोगरा के पौधे की 5 से 7 दिनों पर सिंचाई करनी चाहिए. वहीं, किट के प्रकोप से बचाने कीटनाशक दवाइयां का छिड़काव समय-समय पर करें. इससे फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है.
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