प्याज एक्सपोर्ट बैन की वजह से मिल रहे कम दाम से परेशान किसानों के जख्मों पर सरकार ने मरहम लगाने की कोशिश शुरू कर दी है. केंद्र ने 1 अप्रैल से सीधे किसानों से 5 लाख टन प्याज खरीदने का फैसला किया है, ताकि निर्यात पर लगे प्रतिबंध के कारण किसान परेशान न हों. यह खरीद बफर स्टॉक के लिए होगी. इस फैसले की घोषणा उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित सिंह और विशेष सचिव निधि खरे ने की है. सरकार ने 2023-24 (अप्रैल-मार्च) सीजन में बफर स्टॉक के लिए 7 लाख टन प्याज खरीदा था. उन्होंने कहा कि पहले खरीद की घोषणा किश्तों में की गई थी. इसके विपरीत, इस वर्ष बफर स्टॉक के लिए एक बार में ही घोषणा की जा रही है. यही नहीं जरूरत पड़ने पर अधिक प्याज खरीदा जाएगा, ताकि किसानों को परेशानी न हो.
दोनों अधिकारियों ने कहा कि देश में प्याज के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र, महाराष्ट्र के लासलगांव में किसानों को अब 14 रुपये प्रति किलो का दाम मिल रहा है, जो एक साल पहले लगभग 8 रुपये किलो ही था. फिर भी, सरकार ने हस्तक्षेप करने का फैसला किया. क्योंकि किसानों को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि वे घाटे में प्याज बेच रहे हैं. रोहित सिंह ने कहा कि सरकार ने कभी प्याज लागत से कम दाम पर नहीं खरीदा. पिछले रबी सीजन में प्याज औसतन 17 रुपये प्रति किलोग्राम पर खरीदा गया था.
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सिंह ने कहा, इस साल खरीद की अवधि भी आगे बढ़ा दी गई है. पिछले साल खरीदे गए 7 लाख टन प्याज में से केवल 25,000 टन ही बफर स्टॉक में है, जबकि बाकी मात्रा बेची जा चुकी है. बिक्री मूल्य के बारे में पूछे जाने पर कि क्या सरकार 25 रुपये प्रति किलोग्राम की खुदरा बिक्री की पिछली नीति को बरकरार रखेगी, अधिकारियों ने कहा कि इसे थोक बाजार में प्रचलित दरों पर बेचा जाएगा और खुदरा बिक्री पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है. अधिकारी ने यह भी कहा कि वे इसे लेकर काफी चिंतित हैं.
प्याज की कीमतें और रबी प्याज उत्पादन में गिरावट को देखते हुए कृषि मंत्रालय ने अगले दिवाली सीजन की योजना बनाना शुरू कर दिया है. जहां एक ओर, विकिरण प्रौद्योगिकी का उपयोग करके प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाई जाएगी, वहीं सरकार खरीफ फसल की शुरुआती बुआई सुनिश्चित करने का भी प्रयास करेगी ताकि त्योहार के दौरान पर्याप्त उपलब्धता हो. रबी सीजन के प्याज का उत्पादन 2023-24 में घटकर 193 लाख टन होने का अनुमान है, जो एक साल पहले 236 लाख टन था. इसका मतलब यह है कि रबी सीजन के प्याज उत्पादन में पिछले साल के मुताबिक 18 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है.
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