UP News: अब देवरिया में भी होगी मखाने की खेती, कृषि विभाग ने बनाई इसकी खास रणनीति

UP News: अब देवरिया में भी होगी मखाने की खेती, कृषि विभाग ने बनाई इसकी खास रणनीति

उत्तर प्रदेश का देवरिया जिला कभी चीनी का कटोरा कहा जाता था. यहां पर 14 चीनी मिलें हुआ करती थीं जिसकी वजह से यहां का किसान गन्ना का पैदावार बड़े पैमाने पर करता था, लेकिन अब यहां के किसान मखाना की खेती करेंगे.

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UP News: अब देवरिया में भी होगी मखाने की खेती, कृषि विभाग ने बनाई इसकी खास रणनीतिअब देवरिया में भी होगी मखाने की खेती

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में मखाने की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारी एकजुट हो गए हैं. इसके लिए वहां के जमीनों और किसानों को चिन्हित किया जा रहा है. जिस भूमि पर जलभराव लंबे समय तक होता है, उसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए मखाने की खेती के एक्सपर्ट को बुलाया गया है. एक्सपर्ट्स ने यहां की जलवायु और मिट्टी की परख करने के बाद मखाने की खेती करने के लिए हरी झंडी दे दी है.

दरअसल बिहार के दरभंगा जिले में मखाने की खेती बड़े पैमाने पर होती है. लेकिन अब देवरिया जिले के किसान भी इस खेती को करके अपनी पहचान बना सकते हैं. साथ ही आर्थिक संकट से उबर सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक साल में वे मखाने के साथ-साथ परंपरागत गेहूं की भी खेती कर सकते हैं.

कभी चीनी का कटोरा था देवरिया

उत्तर प्रदेश का देवरिया जिला कभी चीनी का कटोरा कहा जाता था. यहां पर 14 चीनी मिलें हुआ करती थीं जिसकी वजह से यहां का किसान गन्ना का पैदावार बड़े पैमाने पर करता था. लेकिन चीनी मिलें बिक गईं. किसानों को सही समय पर उनका भुगतान नहीं मिल पाता था. इसका असर ये हुआ कि किसान केवल गेहूं और धान की खेती पर आधारित हो गया. इससे उन्हें अच्छी आय नहीं हो पाती है.

इस समस्या को देखते हुए देवरिया में मखाना की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए जिलाधिकारी के निर्देश पर कृषि विभाग किसानों के साथ बैठक कर मखाना की खेती की पैदावार और उससे किसानों के जीवन मे आर्थिक बदलाव के बारे में जानकारी देने में जुटा हुआ है. मखाना की खेती नकदी फसल के रूप में जानी जाती है और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इसकी कीमत 32 से 40 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल है.

कई गावों को किया गया चिन्हित

देवरिया के डीएम अखंड प्रताप सिंह के निर्देश पर कृषि विभाग ने जनपद में आठ से नौ महीने तक नमी और पानी लगने वाली जमीन की तलाश शुरू कर दी है. जिले में वन विभाग की तरफ से ऐसी 342 जमीनें चिन्हित की गई हैं जिसमें 50 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के दस गांव हैं. इन गांवों में भलुअनी के धनौती बहोर, पिपरा खेमकरन, सेहरपुर, गंडेर, महुई श्रीकांत, रामपुर कारखाना का शाहपुर, देवरिया का मझवलिया, लार का तकिया और धरहरा शामिल हैं. इसके अलावा रुद्रपुर और बरहज तहसील क्षेत्र के दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां जलभराव होता है. ऐसे में यहां के किसान मखाना की खेती बड़े पैमाने पर कर सकते हैं.

अधिकारियों की किसानों के साथ बैठक

जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय सिंह और मखाना खेती के विशेषज्ञ डी एन पांडेय ने किसानों के साथ बैठक की और मखाने के बारे में पूरा विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि मखाने के लिए नवंबर महीने में नर्सरी डाली जाती है जो तीन से चार महीने में तैयार हो जाती है. फरवरी और मार्च महीने में इसकी रोपाई की जाती है जहां तीन से चार फीट पानी भरा हो. इसमें जुलाई माह में फूल आना शुरू हो जाता है. अक्टूबर महीने में मखाना की कटाई शुरू हो जाती है. इसके बाद यह भूमि गेहूं की बुवाई के लिए उपयोग की जा सकती है. इस तरह एक साल में दो फसलों की खेती की जा सकती है.

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वर्षा के लिहाज से अच्छा जिला है देवरिया

देवरिया जनपद के DM अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि इकोनॉमिकल ग्रोथ की क्या-क्या संभावनाएं हो सकती हैं, इस पर यहां के अधिकारियों से निरंतर चर्चा चल रही है. खासकर देवरिया के रहने वाले लोगों से भी चर्चा चल रही है. देवरिया को यदि वर्षा के हिसाब से देखा जाए तो वर्षा के लिहाज से यह एक अच्छा जिला माना जाता है और ऐसे 16 ब्लॉक हैं. 16 ब्लॉक में देखा जाए तो कहीं भी पानी की समस्या नहीं है. यहां भरपूर पानी है और देवरिया में बारिश के बाद यह देखा जाता है कि 20 से 25 परसेंट जमीन जलमग्न रहती है. जलमग्न भूमि पर यहां के किसान सिर्फ एक फसल ही लगा पाते हैं, जो कि रबी की फसल होती है. इस हिसाब से मखाना किसानों के लिए उपयोगी हो सकता है जो जलमग्न भूमि में होता है.

मखाने की साइंटिफिक खेती 

दुनिया का 97 प्रतिशत मखाना देवरिया से 200 किलोमीटर दूर दरभंगा के मधुबनी एरिया में उगाया जाता है. यहां की जलवायु और मिट्टी मखाना के लिए उपयुक्त है. डीएम ने बताया कि देवरिया के लोग जलमग्न क्षेत्र में मखाने की साइंटिफिक खेती कर सकते हैं. ऐसी खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग पूरी तैयारी कर रहा है. अगले बारिश के सीजन में लोग इसकी खेती को शुरू कर सकते हैं.

नौ महीने की फसल है मखाना

मखाना नौ महीने की फसल है. जब इसको लगाते हैं तो यह फसल नौ महीने में तैयार होती है. मखाना के लिए दरभंगा के रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बहुत ही साइंटिफिक तरीके से कम दिनों की किस्म तैयार की है. इसमें कई वैरायटी तैयार की गई हैं. मखाना की एक स्वर्ण वैदेही वैरायटी है जो कि बेहद कामयाब है और अच्छा रेट देती है.

मखाना एक ऐसी फसल है जिसको उगाने पर प्रति हेक्टेयर 28 से 30 क्विंटल का उत्पादन होता है. अगर एक क्विंटल का रेट इंटरनेशनल मार्केट में देखा जाए तो 32 से लेकर 40,000 रुपये प्रति क्विंटल है. ऐसे में उन जगहों को पहचाना जा रहा है जहां इसकी खेती की जा सकती है और किसानों को अच्छी आमदनी मिल सकती है. 

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