हरियाणा की झज्जर अनाज मंडी में आया 40,000 क्विंटल से ज्यादा बाजरा बिना बिके रह गया है, जिससे किसान परेशान हैं. खरीद एजेंसी के अधिकारियों का दावा है कि यह उपज टूटा और बदरंग होने की लिमिट से ज्यादा है, जिससे इसे खरीदने से इनकार कर दिया गया.
पटौदा गांव के किसान प्रदीप ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, "यह किसानों के लिए दोहरी मार है. मेरा 120 क्विंटल बाजरा लगभग एक हफ्ते से मंडी में बिना बिका पड़ा है. शुरुआत में, पानी भरा होने के कारण हमारी फसल 50 प्रतिशत खराब हो गई थी. और अब, एजेंसी टूटे और बदरंग होने का हवाला देकर इसे नहीं खरीद रही है."
उन्होंने राज्य सरकार से इसमें दखल देने और खरीद के नियमों में ढील देने का आग्रह किया. किसान ने यह तर्क दिया कि उपज में क्वालिटी की समस्याएं किसानों के वश से परे है और यह प्राकृतिक आपदा से पैदा हुई स्थिति है.
मछरौली गांव के एक अन्य किसान अजीत ने भी इसी तरह की चिंताएं जाहिर कीं. उन्होंने कहा, "ज्यादातर बाजरा किसान गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं, पहले कम पैदावार के कारण, और अब क्योंकि उनकी उपज मंडी में बिना बिकी पड़ी है. अब सभी की निगाहें तत्काल राहत के लिए सरकार पर टिकी हैं."
किसानों की शिकायतों में इजाफा करते हुए, अनाज मंडी में आढ़ती संघ के अध्यक्ष विनोद पुनिया ने आरोप लगाया कि निर्धारित नियमों को पूरा करने वाले बाजरे की भी खरीद नहीं हो रही है.
उन्होंने कहा, "रंगहीन स्टॉक की तो बात ही छोड़िए, अच्छी क्वालिटी वाली उपज भी छोड़ दी जा रही है. इससे हमारा व्यवसाय प्रभावित हो रहा है और किसान बिना बिके बाजरे को अपने घरों में रखने को मजबूर हो रहे हैं क्योंकि मंडियों में जगह ही नहीं बची है."
पुनिया ने मांग की कि सरकार सभी उपज की खरीद सुनिश्चित करे, खासकर क्योंकि उपज का बदरंग होना प्राकृतिक कारणों का नतीजा है, न कि कटाई के बाद की खराब हैंडलिंग का.
सरकारी खरीद एजेंसी के एक अधिकारी अजय बेनीवाल ने पुष्टि की कि क्वालिटी से जुड़ी चिंताओं के कारण अब तक बाजरे की कोई खरीद नहीं हुई है. उन्होंने कहा, "नियमों के अनुसार, उपज की टूटन और बदरंग होने की लिमिट 6 प्रतिशत तक है, लेकिन आ रही उपज में 10 प्रतिशत से 28 प्रतिशत के बीच का स्तर दिखाई दे रहा है. हम खरीद के लिए तैयार हैं, लेकिन केवल वही उपज जो शर्तों को पूरा करती है."
झज्जर मार्केट कमेटी के सचिव राम निवास ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया. उन्होंने कहा, "अब तक 40,000 क्विंटल से अधिक बाजरा आ चुका है, जिसमें से अधिकांश रंगहीन है."
इस बीच, उपायुक्त एस. रवींद्र पाटिल ने खरीद एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं, जिसमें उन्हें राज्य सरकार के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए उपज की खरीद सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अनाज मंडी में किसी भी किसान को गैर-जरूरी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा और यदि कोई समस्या होती है, तो उसका तुरंत समाधान किया जाना चाहिए.
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