पंजाब में इस साल खरीफ सीजन के दौरान लगभग 117 लाख मीट्रिक टन (LMT) धान उत्पादन होने की उम्मीद है. यह धान राज्य में आने वाले अनुमानित 180 लाख मीट्रिक टन धान से तैयार किया जाएगा. फिलहाल राज्य में चावल के भंडारण के लिए केवल 15 लाख मीट्रिक टन की जगह उपलब्ध है. हालांकि, दिसंबर तक चावल की डिलीवरी शुरू होने के साथ यह क्षमता बढ़कर 30 LMT तक हो सकती है.
द ट्रिब्यून के मुताबिक भारतीय खाद्य निगम (FCI) की योजना है कि पंजाब के गोदामों से हर महीने 8-10 LMT चावल देश के अन्य राज्यों में भेजा जाए. यह प्रक्रिया जून-जुलाई 2025 तक जारी रहेगी. इसके बावजूद, सभी चावल की डिलीवरी समय पर नहीं हो पाएगी और कुछ डिलीवरी जुलाई तक टल सकती है, जबकि सामान्यतः चावल की शेलिंग के बाद डिलीवरी मार्च तक पूरी कर दी जाती है.
FCI पंजाब के जनरल मैनेजर बी. श्रीनिवासन के अनुसार, “थोड़ी देरी जरूर होगी लेकिन चिंता की बात नहीं है.” उन्होंने बताया कि 46 LMT चावल के लिए अतिरिक्त कवर भंडारण तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिसमें कुछ गोदाम अगले साल तक उपयोग के लिए तैयार हो सकते हैं.
पंजाब के गोदामों में पहले से ही लगभग 140 LMT पुराने चावल का स्टॉक रखा हुआ है. इसके अलावा, कुछ स्थानों पर 25 LMT गेहूं भी संग्रहित है. जबकि राज्य में कुल भंडारण क्षमता 180 LMT है, इस समय जगह की भारी कमी महसूस की जा रही है.
अब तक (पहले 15 दिनों में) मंडियों में 3.34 लाख मीट्रिक टन धान की आवक हुई है, जिसमें से 3.13 LMT धान खरीदा जा चुका है. इसमें प्राइवेट खरीददारों की हिस्सेदारी सिर्फ 3,000 मीट्रिक टन रही है, लेकिन उन्होंने किसानों को MSP (₹2,369 प्रति क्विंटल) से अधिक कीमत दी है. प्राइवेट प्लेयर्स ने यह धान ₹2,395 से ₹2,410 प्रति क्विंटल तक खरीदा है.
जहाँ पठानकोट और फाजिल्का में धान की आवक बेहद कम रही, वहीं पटियाला, अमृतसर, मोहाली, कपूरथला और फतेहगढ़ साहिब में सबसे अधिक धान मंडियों में पहुंचा है. पूरे राज्य में अब तक आए धान का 95% खरीदा जा चुका है, लेकिन बाजार से धान की लिफ्टिंग (उठान) की रफ्तार अभी धीमी है.
पंजाब में इस बार चावल का उत्पादन तो रिकॉर्ड स्तर पर होने जा रहा है, लेकिन भंडारण की कमी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है. सरकार और FCI इसके समाधान के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अगले कुछ महीनों तक चावल की डिलीवरी और स्टोरेज को लेकर स्थिति तनावपूर्ण बनी रह सकती है.
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