इस साल किचन में इस्तेमाल होने वाले सामानों में जैसे आग लगी हुई है. टमाटर से लेकर प्याज, दाल और अब जीरा की महंगाई देखी जै रही है. दरअसल इस साल फरवरी से ही जीरा का भाव जैसे आसमान छू रहा है. जीरा के भाव में फरवरी से अब तक तकरीबन 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जुलाई 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार जीरा अपने सबसे अधिकतम कीमत यानी 63540 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर पहुंच गया है. इससे हर घर में पाया जाने वाला जीरा, जो खाने को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाता है, वह मसाले से दूर होता दिख रहा है. आइए जानते हैं क्या है इस महंगाई की पूरी वजह.
गुजरात में जीरे की बड़े पैमाने पर खेती होती है. यहां का ऊंझा और मेहसाणा जिला इसकी खेती के लिए प्रसिद्ध है. जीरा का भाव बढ़ने से यहां के किसानों की कमाई बढ़ गई है क्योंकि उनकी उपज महंगी बिक रही है. जिन किसानों ने पहले से जीरे का स्टॉक रखा है, वे ऊंची कीमतों पर बेच रहे हैं. उधर एक्सपोर्ट की मांग बढ़ने से भी किसानों की कमाई बढ़ रही है. हालांकि आम आदमी के लिए यह परेशान करने वाली बात है क्योंकि उन्हें पहले से दोगुना तक अधिक भाव देना पड़ रहा है.
जीरे की महंगाई के पीछे असली वजह बेमौसमी बारिश को बताया जा रहा है. देश के जिन इलाकों में जीरे की खेती होती है, वहां अधिक बारिश ने जीरे की फसल को प्रभावित किया है. इससे फसलें खराब हो गई हैं. साथ ही पैदावार में भी गिरावट आई है. इसका असर मार्केट से लेकर एक्सपोर्ट पर भी है. बेमौसम बारिश की वजह से जीरा अपने रिकॉर्ड स्तर पर है. साथ ही जीरे की महंगाई में तेजी इस साल के फरवरी से ही देखी जा रही है.
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वहीं बात करें अन्य मसालों की तो जून में मसालों की खुदरा महंगाई 19.9 परसेंट थी जो जुलाई में बढ़कर 21.63 परसेंट हो गई है. इसको लेकर व्यापारियों का कहना है कि अगले साल की शुरुआत यानी होली तक इसमें गिरावट की संभावना नहीं. वहीं अभी मसालों में और तीखापर यानी कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. इन मसालों में जीरा, हल्दी और धनिया खास हैं जिनकी कीमतें बढ़ी हैं.
मंडियों में नए जीरे की आवक से पहले अक्टूबर-नवंबर में चीन से भारतीय जीरे की मांग इसके व्यापार को और अधिक बढ़ा सकती है. इससे उन किसानों को फायदा होगा जिन्होंने अपने स्टॉक को बचा कर रखा है. FISS के पूर्वानुमानों के अनुसार, इस साल जीरे की मांग 85 लाख बैग से अधिक होने का अनुमान है, जबकि आपूर्ति 65 लाख बैग होने की संभावना है. ऐसे में सप्लाई कम होने और मांग बढ़ने से जीरे का भाव बढ़ेगा. इससे किसानों को फायदा मिलेगा. अप्रैल-जून 2023 के दौरान जीरा निर्यात 13.16 प्रतिशत बढ़कर 53,399.65 टन हो गया, जबकि अप्रैल-जून 2022 के दौरान निर्यात 47,190.98 टन था.
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