तेल मार्केटिंग कंपनियों का बढ़ेगा 100 करोड़ रुपये का खर्च, चालू सीजन में इथेनॉल की कीमतों में 15-17 प्रतिशत की बढ़ोतरी

तेल मार्केटिंग कंपनियों का बढ़ेगा 100 करोड़ रुपये का खर्च, चालू सीजन में इथेनॉल की कीमतों में 15-17 प्रतिशत की बढ़ोतरी

केंद्र द्वारा द्वारा इथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी को मंजूरी देने के बाद, तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) को 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है और चावल और मक्का की खुले बाजार में मांग बढ़ सकती है.

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तेल मार्केटिंग कंपनियों का बढ़ेगा 100 करोड़ रुपये का खर्च, चालू सीजन में इथेनॉल की कीमतों में 15-17 प्रतिशत की बढ़ोतरीतेल मार्केटिंग कंपनियों का बढ़ेगा 100 करोड़ रुपये का खर्च, सांकेतिक तस्वीर

केंद्र सरकार ने इथेनॉल का रेट फिर से बढ़ा दिया है. पिछले दो हफ्तों में इसका दो बार रेट बढ़ाया गया है. इससे डिस्टिलरीज को पहले से अधिक कीमतें मिलेंगी. दरअसल, डिस्टिलरी से तेल की मार्केटिंग कंपनियां इथेनॉल खरीदती हैं और उसे पेट्रोल में मिलाती हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि केंद्र द्वारा द्वारा इथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी को मंजूरी देने के बाद, तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) को 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है और चावल और मक्का की खुले बाजार में मांग बढ़ सकती है. वहीं शुगर इंडस्ट्री के विशेषज्ञों ने शिरा के निर्यात पर रोक लगाने की मांग की है. उनका मानना है कि शिरा को घरेलू स्तर पर इथेनॉल में तब्दील किया जा सकता है. 

मालूम हो कि इथेनॉल के उत्पादन में गन्ने के शिरा इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा, चावल और मक्का समेत कई अन्य अनाजों का भी इस्तेमाल किया जाता है. 

डिस्टिलरीज द्वारा इथेनॉल सप्लाई में देरी 

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, अनाज आधारित डिस्टिलरीज ने 31 अक्टूबर को समाप्त होने वाले चालू इथेनॉल सप्लाई ईयर में खराब या टूटे हुए चावल से बनने वाले 21.25 करोड़ लीटर इथेनॉल और मक्के से बनने वाले 0.08 करोड़ लीटर इथेनॉल की सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट किया है. वहीं खराब चावल से बने केवल 9.52 करोड़ लीटर इथेनॉल की सप्लाई की है और 31 जुलाई तक मक्के से कोई सप्लाई नहीं की गई है. इन दोनों अनाजों की सप्लाई खिंच गई है.

इथेनॉल की कियामतों में बढ़ोतरी 

इस साल के लिए निर्धारित इथेनॉल मूल्य के अलावा सरकार द्वारा दो बार कीमतें बढ़ाने के बाद, डिस्टिलरी को खराब चावल से इथेनॉल बनाने पर अतिरिक्त 8.46 रुपये प्रति लीटर और मक्के से बने बायो ईंधन के लिए अतिरिक्त 9.72 रुपये प्रति लीटर मिलेगा. बाकी 11.81 करोड़ लीटर इथेनॉल की सप्लाई 22 अगस्त के बाद की जाएगी.

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दूसरी ओर, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में गन्ने की शिरा का निर्यात 361 करोड़ रुपये मूल्य का 2,83,598.19 टन दर्ज किया गया है, जबकि पूरे 2022-23 वित्तीय वर्ष में यह 2,034 करोड़ रुपये मूल्य का 16,08,906.7 टन था.

गन्ने के उत्पादन पर प्रभाव पड़ने की आशंका

शुगर इंडस्ट्री के एक अधिकारी ने कहा, “अगर शीरे के निर्यात पर प्रतिबंध होता, तो भारत अप्रैल-जून के दौरान निर्यात की गई मात्रा से 6.7 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन कर सकता था. पेराई सीजन के दौरान अधिकतम मात्रा में निर्यात किया जाता है और निर्यात को प्रतिबंधित करने का निर्णय इस बार नवंबर से पहले लिया जाना चाहिए, क्योंकि जून-जुलाई में महाराष्ट्र और कर्नाटक में लंबे समय तक शुष्क मौसम के कारण गन्ने के उत्पादन पर प्रभाव पड़ने की आशंका है.

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अधिकारी ने आगे कहा, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान निर्यात किए गए शिरा की मात्रा से देश 38 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन कर सकता था.  

12 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य

एक विशेषज्ञ ने कहा कि नीदरलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, दक्षिण कोरिया और इटली जैसे देश भारतीय शिरा के प्रमुख आयातक हैं. इसका उपयोग वहां पशु चारा निर्माण के लिए किया जाता है. वहीं 12 प्रतिशत ब्लेंडिंग लक्ष्य से चूकने के डर से, डिस्टिलरीज को 15 दिनों की अवधि में तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) द्वारा खरीदे गए इथेनॉल की दरों में दूसरी बढ़ोतरी मिली है.

इथेनॉल की कीमतों में 15-17 प्रतिशत की बढ़ोतरी 

22 अगस्त से इथेनॉल की कीमतें 64 रुपये प्रति लीटर (क्षतिग्रस्त चावल से) और 66.07 रुपये प्रति लीटर (मक्का से) हो गई हैं, जो सीजन के लिए निर्धारित दरों से 15-17 प्रतिशत अधिक है.

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