भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है. निर्यात के क्षेत्र में भी उसे पहला दर्जा प्राप्त है. सरकार की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक, देश में चीनी का वार्षिक उत्पादन 1,40,000 करोड़ रुपये का होता है. इससे देश के 5 करोड़ गन्ना किसानों और 5 लाख मजदूरों को सीधा फायदा होता है. सरकार ने गन्ना सीजन 21-22 में किसानों के बकाये और उसके भुगतान का भी ब्योरा जारी किया है. आंकड़े के मुताबिक, साल 21-22 तक 1,18,271 करोड़ रुपये का भुगतान होना था जिसमें से 1,14,961 करोड़ रुपये का भुगतान हो गया है. यानी किसानों के बकाये का 97 परसेंट हिस्सा चुकाया जा चुका है.
सरकार ने निर्यात को आंकड़ा जारी किया है जिसके मुताबिक 2017-18 में भारत से 6.8 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात हुआ. 2018-19 में 38 लाख मीट्रिक टन, 2019-20 में 59 लाख मीट्रिक टन और 2021-22 में 110 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया गया.
सरकार ने बताया है कि चीनी की निर्यात सब्सिडी के रूप में 18000 करोड़ रुपये दिए गए हैं. देश में वैकल्पिक ईंधन के रूप में इथेनॉल बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है. इसी इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर बेचा जा रहा है ताकि कच्चे तेलों पर देश की निर्भरता कम हो. इथेनॉल के उत्पादन में लगातार तेजी है और 2022 तक 925 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हुआ है. सरकार ने 2025 तक तेलों में 20 परसेंट तक इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य तय किया है.
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देश का चीनी उद्योग महत्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग है, जिससे 5 करोड़ गन्ना किसान जुड़े हैं. आज भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये है. शुगर सीजन 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में 6.2 एलएमटी, 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया. आंकड़ों से पता चलता है कि चीनी सीजन 2020-21 में 60 एलएमटी के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 70 एलएमटी का निर्यात किया गया है.
चीनी सीजन 2021-22 में, भारत ने 110 एलएमटी से अधिक चीनी का निर्यात किया है और दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है. चीनी सीजन 2021-22 के लिए कुल 118271 करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य बकाया में से किसानों को 114981 करोड़ रुपये चुका दिए गए हैं. इस प्रकार 97 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया चुकाया गया है.
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पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने की योजना चल रही है जिसे इथेनॉल ब्लेंडिंग का नाम दिया गया है. सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ ईंधन ग्रेड इथेनॉल का 10 प्रतिशत हिस्सा मिलाने का लक्ष्य रखा है जिसे 2025 तक बढ़ाकर 20 प्रतिशत ले जाया जाएगा. अभी देश में इथेनॉल उत्पादन की मौजूदा क्षमता (31.10.2022 तक) बढ़कर 925 करोड़ लीटर हो गई है.
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