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Good News: दलहन फसलों के मोर्चे पर भारत को म‍िली बड़ी कामयाबी, आत्मन‍िर्भर बनने की जगी उम्मीद 

Good News: दलहन फसलों के मोर्चे पर भारत को म‍िली बड़ी कामयाबी, आत्मन‍िर्भर बनने की जगी उम्मीद 

साल 2018-19 में दलहन फसलों की प्रत‍ि हेक्टेयर औसत उपज स‍िर्फ 757 क‍िलो ही थी, जो 2021-22 में बढ़कर 892 क‍िलो हो गई है. व‍िशेषज्ञों का कहना है क‍ि भारत में दलहन फसलों का सबसे ज्यादा एर‍िया है. अब औसत उपज बढ़ाने और क‍िसानों को खरीद की 'गारंटी' देने की जरूरत है. इन दोनों मंत्रों से ही भारत इस मामले में आत्मन‍िर्भर बन पाएगा.

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दलहन फसलों की औसत उपज में इजाफा.  (Photo-ICAR). दलहन फसलों की औसत उपज में इजाफा. (Photo-ICAR).

दुन‍िया में सबसे ज्यादा दाल उत्पादन करने के बावजूद भारत को दलहन के मामले में आत्मन‍िर्भर होने के ल‍िए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. सरकार लंबे वक्त से इसकी कोश‍िश में जुटी हुई है फ‍िर भी अभी इस मामले में सफलता हाथ नहीं लगी है. वजह यह है क‍ि एर‍िया में इजाफा करके ज‍ितना उत्पादन बढ़ाया जाता है उससे अध‍िक तेज गत‍ि से जनसंख्या बढ़ जाती है. ऐसे में सरकार ने कुछ वर्षों से नए क‍िस्म के बीजों की मदद और खेती का तौर-तरीका बदलकर उपज (Yield) बढ़ाने पर जोर द‍िया है. अब इस मोर्चे पर सरकार को बड़ी कामयाबी हास‍िल हुई है और आत्मन‍िर्भर होने की उम्मीद की नई क‍िरण द‍िखाई दी है. भारत कई देशों से दलहन की पैदावार के मामले में अभी भी पीछे है, लेक‍िन इतना जरूर है क‍ि हमने पहले की बहुत खराब स्थ‍िति से खुद को न‍िकाला है. इसकी औसत उपज में इजाफा हुआ है. 
 
केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर नेफेड ने अपनी एक र‍िपोर्ट में बताया है क‍ि 2018-19 में जहां भारत में दलहन फसलों की प्रत‍ि हेक्टेयर उपज 757 क‍िलो ही थी वो 2021-22 में बढ़कर 892 क‍िलो तक पहुंच गई है. यानी चार साल में हमने प्रत‍ि हेक्टेयर औसत उपज में 135 क‍िलो का इजाफा क‍िया है. हालांक‍ि, 2018 के दौरान दुन‍िया में दल‍हन फसलों की औसत उपज 964 क‍िलो प्रत‍ि हेक्टेयर थी. तब सबसे ज्यादा 1950 क‍िलो प्रत‍ि हेक्टेयर की उपज कनाडा में थी. इस ह‍िसाब से अभी हमें और सफर तय करना बाकी है. 

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उपज बढ़ने से ही बनेगा काम 

भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक है. यहां सबसे ज्यादा 310 लाख हेक्टेयर (2021-22) में इसकी खेती होती है. सबसे ज्यादा 278 लाख टन उत्पादन (2022-23) होता है. इन दो मामलों में दुन‍िया का कोई भी देश भारत के आसपास नहीं है. लेक‍िन उपज के मामले में हम अमेर‍िका, यूथोप‍िया, चीन, म्यांमार, रूस, आस्ट्रेल‍िया, ब्राजील और तंजान‍िया सह‍ित कई देशों से बहुत पीछे हैं. ऐसे में अब सरकार उपज बढ़ाने पर जोर दे रही है ताक‍ि कम जगह में ज्यादा उत्पादन हो और मांग एवं आपूर्त‍ि में जो गैप है उसे भरा जा सके. भारत दुन‍िया की 25 फीसदी दलहन पैदा करता है जबक‍ि 28 फीसदी खपत करता है. इसल‍िए दालों का दाम ज्यादा है.  

भारत में दलहन का सबसे ज्यादा एर‍िया

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार पश्चिमी अफ्रीका के देश नाइजर में 60.42 लाख हेक्टेयर, म्यांमार में 37.82, कनाडा में 32.44, नाइजीर‍िया में 30.03, ब्राजील में 28.75, चीन में 27.61, रूस में 26.36 और आस्ट्रेल‍िया में स‍िर्फ 25 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की खेती होती है. जबक‍ि भारत में लगभग 310 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती होती है. एफएओ के अनुसार 2018 के दौरान दुन‍िया में कुल 957 लाख हेक्टेयर में दल‍हन फसलों की खेती हो रही थी. 

तीनों सीजन में दलहन

भारत में दलहन फसलें खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजन में उगाई जाती हैं. रबी सीजन में लगभग 150 लाख हेक्टेयर, खरीफ में 140 लाख और जायद के दौरान 20 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई होती है. अरहर, मूंग, सोयाबीन, उड़द और लोबिया खरीफ सीजन में उगाई जाती है. चना, मटर, मसूर और मूंग रबी सीजन के दौरान होती है. जबक‍ि जायद में मूंग और उड़द की मुख्य तौर पर खेती की जाती है.  

दलहन में कैसे आत्मन‍िर्भर होगा भारत? 

दुन‍िया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक होने के बावजूद भारत ने अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के ल‍िए 2022-23 में 15,985 करोड़ रुपये खर्च करके 25 लाख टन से अध‍िक दालों का आयात क‍िया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है क‍ि भारत कब तक और कैसे इस मामले में आत्मन‍िर्भर हो पाएगा. 

कृष‍ि सुधार के ल‍िए प्रधानमंत्री द्वारा बनाई गई कमेटी के सदस्य ब‍िनोद आनंद का कहना है क‍ि भारत में दलहन फसलों के एर‍िया में कोई कमी है, स‍िर्फ उपज बढ़ाने की जरूरत है. इस पर काम हो रहा है. सरकार ने वर्ष 2027 तक दलहन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है. सहकार‍िता मंत्री अम‍ित शाह ने कहा है क‍ि दिसंबर 2027 से पहले दलहन उत्पादन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा और देश को एक किलो दाल भी आयात नहीं करनी पड़ेगी. 

अब जो किसान दलहन फसलों का उत्पादन करने से पहले ही नेफेड और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) पर अपना रजिस्ट्रेशन कराएगा, उसकी दलहन को एमएसपी पर शत-प्रतिशत खरीद लिया जाएगा. इससे क‍िसान इसकी खेती को बढ़ावा देंगे. दूसरी ओर नई क‍िस्मों पर फोकस करके पैदावार बढ़ाने की कोश‍िश जारी है. इन दोनों प्रयासों से भारत दलहन के मामले में आत्मन‍िर्भर हो जाएगा.  

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