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इस बार केसर आम खाना होगा महंगा... ग्लोबल वार्मिंग से गिरी पैदावार, दाम मारेगा भारी उछाल

इस बार केसर आम खाना होगा महंगा... ग्लोबल वार्मिंग से गिरी पैदावार, दाम मारेगा भारी उछाल

गुजरात के तलाला का केसर आम देश विदेश में प्रख्यात है. इसकी राह लोग बड़े चाव से देखते हैं. पर इस बार केसर आम के उत्पादन में भारी कमी आई है. एक्सपर्ट मानते हैं कि प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की असर के कारण हर साल केसर आम का उत्पादन कम होता जा रहा है. यही वजह है कि इसके दाम भी तेजी से भाग रहे हैं.

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गुजरात के केसर आम पर पड़ी ग्‍लोबल वॉर्मिंग की मार गुजरात के केसर आम पर पड़ी ग्‍लोबल वॉर्मिंग की मार

गुजरात के तलाला का केसर आम देश विदेश में प्रख्यात है. इसकी राह लोग बड़े चाव से देखते हैं. पर इस बार केसर आम के उत्पादन में भारी कमी आई है. एक्सपर्ट मानते हैं कि प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की असर के कारण हर साल केसर आम का उत्पादन कम होता जा रहा है. यही वजह है कि इसके दाम भी तेजी से भाग रहे हैं. इस बार ग्राहकों को अधिक दाम देकर इसकी खरीदारी करनी होगी. इसके कद्रदान बहुत हैं, इसलिए वे अधिक पैसा लगाकर भी इसे जरूर खरीदेंगे.

देर से आए फूल 

हर साल केसर आम अप्रैल में शुरू होते हैं जब कि इस साल आम के पेड़ों में फूल आ रहे हैं और आम के दाने अभी छोटे हैं. हालांकि मौसम की मार से वे भी झड़ रहे हैं.  दिवाली के बाद हुई बारिश और ठंडी के मौसम में बदलाव के कारण देरी से फ्लावरिंग हो रहा है. अमिया पतझड़ के मौसम में गिर रही है. ऐसे में केसर आम 25 से 30 परसेंट ही होने का अनुमान है जिसका असर दाम पर भी पड़ेगा.

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क्‍यों महंगा होगा आम 

उत्पादन कम होगा तो दाम बढ़ेंगे. पिछले साल 2500 से शुरू हुए 10 kg के दाम सीजन के अंत में भी 700/800 रहे थे. इस बार 1000 तक रहने का अनुमान है. साथ ही साथ एक से डेढ़ महीना देरी से केसर आम बाजार में आएगा. अप्रैल के अंत में शायद बाजार में बिक्री शुरू होगी जो जून के अंत तक चलने की संभावना है. अगर जल्द उत्पादन हुआ तो एक अप्रैल से बिकना शुरू हो सकता है. पर रेगुलर सीजन अप्रैल के अंत में शुरू हो सकता है. फिलहाल बाजार में रतलामी, हापूस और ऊना का केसर आम मिल रहा है. केसर आम के चाहने वालों को अभी एक महीना राह देखनी होगी. 

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कृषि विशेषज्ञ राकेश राठौड़ कहते हैं, किसानों के लिए बड़ा नुकसान है. दिवाली के बाद हुई बिन मौसम बारिश से फ्लावरिंग में देरी हुई जिससे कई जगह छोटी अमिया गिर रही है तो कई बड़े आम झड़ते नजर आ रहे हैं. पोषक तत्वों की कमी के कारण भी आम का उत्पादन कम हो रहा है. अब कोई कुदरती कहर न हुआ तो सीजन मई तक शुरू हो सकता है. एक से डेढ़ महीना देरी से पैदावार निकल सकती है.

प्रदूषण भी एक बड़ी वजह 

आम किसान विरुभाई कहते हैं, इस बार आम का सीजन ही नहीं है. प्रदूषण की वजह से आम का उत्पादन कम हो रहा है. आम का सीजन देरी से शुरू होगा, इस बार दाम ज्यादा रहेंगे. आम पतझड़ की तरह गिर रहे हैं. हमारे परिवार के लिए भी आम नहीं मिलेगा. 

किसान सूरपाल बारड कहते हैं, इस बार फूलों के आने में ही एक से डेढ़ महीना देरी हुई है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण ठंडी के समय गर्मी और गर्मी के समय ठंडी हो रही है. ऐसे में कई फूल बैठ रहे हैं तो कोई फल छोटा तो कोई बड़ा आम दिख रहा है. ऐसे में जो जल्द बारिश हुई तो आम के रसिकों को आम खाने को नहीं मिलेगा और इस बार केसर आम कड़वी लगेगी, ऐसा मुझे लगता है.