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Agri Quiz: किसे कहते हैं दलहन की रानी? खुद खाएं या पशुओं को भी खिलाएं-फायदे हैं भरपूर

Agri Quiz: किसे कहते हैं दलहन की रानी? खुद खाएं या पशुओं को भी खिलाएं-फायदे हैं भरपूर

भारत में दालों का उपयोग अलग-अलग तरीके से किया जाता है. इतना ही नहीं दाल प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं. आपको बता दें  दाल को "गरीबों का प्रोटीन" और "अमीर आदमी की सब्जी" के रूप में जाना जाता है. लेकिन इन सभी दालों में क्या आपको पता है कि दलहन कि रानी किसे कहते हैं. अगर नहीं तो हम आपको बताएंगे. 

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किसे कहते हैं दालों की रानी किसे कहते हैं दालों की रानी

भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक उत्पादन का 25%), उपभोक्ता (विश्व खपत का 27%) और आयातक (14%) है. खाद्यान्न क्षेत्र में दालों की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत है और देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7-10 प्रतिशत है. दाल को प्रोटीन का मुख्य स्रोत माना जाता है. देश में महत्वपूर्ण दालें हैं चना, मूंग, उड़द, मोठ, अरहर और मसूर, मटर आदि. भारत में दालों का उपयोग अलग-अलग तरीके से किया जाता है. इतना ही नहीं दाल प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं. आपको बता दें  दाल को "गरीबों का प्रोटीन" और "अमीर आदमी की सब्जी" के रूप में जाना जाता है. लेकिन इन सभी दालों में क्या आपको पता है कि दलहन कि रानी किसे कहते हैं. अगर नहीं तो हम आपको बताएंगे. 

किसे कहा जाता है दालों की रानी

विश्व की एक महत्वपूर्ण फसल मटर को दालों की रानी कहा जाता है. मटर की खेती हरी फली, साबुत मटर और दालों के लिए की जाती है. हरी मटर की फली का उपयोग सब्जियों के लिए किया जाता है और सूखे मटर का उपयोग दालें और अन्य खाद्य पदार्थ तैयार करने के लिए किया जाता है. हरी मटर को सुखाकर लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है. पोषण मूल्य में, 100 ग्राम अनाज में औसतन 11 ग्राम पानी, 22.5 ग्राम प्रोटीन, 1.8 ग्राम वसा, 62.1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 64 मिलीग्राम कैल्शियम, 4.8 मिलीग्राम आयरन, 0.15 मिलीग्राम आयरन, 0.72 मिलीग्राम होता है. 

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पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल

मटर का उपयोग ना सिर्फ दाल के लिए किया जाता है बल्कि फलियां निकालने के बाद हरे और सूखे पौधों को पशुओं के चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है. दलहनी फसल होने के कारण मटर की खेती से उर्वरा शक्ति बढ़ती है. मटर की खेती हमारे देश के मैदानी इलाकों में सर्दियों में और पहाड़ी इलाकों में गर्मियों में की जाती है. इसकी खेती मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है.

मटर के पौधों में डालें ये खाद

मिट्टी परीक्षण के आधार पर खाद और उर्वरक का इस्तेमाल लाभकारी होता है. यदि बुवाई से पहले मिट्टी परीक्षण नहीं कराया गया है तो निम्नलिखित मात्रा में खाद और उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए. खेत की तैयारी के समय गोबर या कम्पोस्ट (10-15 टन/हेक्टेयर) डालें. नाइट्रोजन 20-25 कि.ग्रा. डालें क्योंकि यह दलहनी फसल है इसमें नाइट्रोजन की जरूरत कम होती है. फास्फोरस (40-50 किग्रा/हेक्टेयर) एवं पोटाश (46-50 किग्रा) बुआई के समय पंक्तियों में देना चाहिए.