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पहाड़ी मटर को बर्बाद कर देता है यह रोग, इस महीने तुरंत करें इस खाद का छिड़काव

पहाड़ी मटर को बर्बाद कर देता है यह रोग, इस महीने तुरंत करें इस खाद का छिड़काव

मटर का उपयोग पूरे भारत में सब्जी के रूप में किया जाता है. उत्तर प्रदेश में मटर की खेती बड़े क्षेत्रफल में की जाती है. मटर रबी की फसल है. मटर की खेती ठंडी जलवायु में की जाती है. पहाड़ी इलाकों में जहां ठंडक होती है, वहां इसकी खेती गर्मियों में भी की जाती है.

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मटर को गेरूआ रोग से बचाने का तरीका मटर को गेरूआ रोग से बचाने का तरीका

पहाड़ी इलाकों में अभी मटर की बुवाई का समय चल रहा है. मध्य फरवरी से लेकर अप्रैल तक यहां बुवाई की जाती है. हालांकि किसान इसकी अगेती किस्में भी लगाते हैं जिसके पौधे बड़े हो गए हैं. किसानों को जानना चाहिए कि अगर समय और मौसम के हिसाब से मटर की बुवाई नहीं करें तो उसमें कीटों और रोगों का प्रकोप हो जाता है. नियम कहता है कि अगेती प्रजातियों के लिए 125-150 किलो और मध्यम प्रजातियों के लिए 100-120 किलो बीजों की जरूरत प्रति हेक्टेयर होती है. अगेती बुवाई में बीज की मात्रा बढ़ाकर खेती करने की सलाह दी जाती है क्योंकि पौधों की बढ़वार कम होती है.

मटर के लिए खतरनाक है ये रोग

आप अगर इन सभी दौर से गुजर चुके हैं, आपके मटर के पौधे बड़े हो चुके हैं या उसमें फली आने का समय हो चुका है तो कुछ बातों का ध्यान बहुत जरूरी है. इसमें सबसे जरूरी है गेरूई रोग से फसल का बचाव. यह ऐसी बीमारी है जो मटर को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है. अभी शहरों में पहाड़ी मटर की आवक अच्छी-खासी है, इसलिए किसानों को गेरुई रोग के प्रति सावधान रहना चाहिए. आइए जानते हैं क्या है यह बीमारी और इससे फसल को कैसे बचा सकते हैं.

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इन राज्यों में होती है मटर की खेती

मटर का उपयोग पूरे भारत में सब्जी के रूप में किया जाता है. उत्तर प्रदेश में मटर की खेती बड़े क्षेत्रफल में की जाती है. मटर रबी की फसल है. मटर की खेती ठंडी जलवायु में की जाती है. पहाड़ी इलाकों में जहां ठंडक होती है, वहां इसकी खेती गर्मियों में भी की जाती है. मटर की खेती देश के कई राज्यों में की जाती है. भारत में मटर की खेती अधिकतर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार और कर्नाटक में की जाती है.

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मटर की खेती में कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है. जिससे न केवल मटर की फसल बर्बाद होती है बल्कि किसानों को भी नुकसान होता है. आपको बता दें कि मटर की खेती में केसर रोग का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि यह बीमारी क्या है और इससे फसल को कैसे बचाया जाए. 

क्या है मटर में होने वाली गेरुई रोग

यह रोग फंगस द्वारा फैलता है. यह रोग खरपतवारों में रहता है जो हवा के माध्यम से फसल तक पहुंच जाता है. यह रोग पत्तियों और तने को प्रभावित करता है. ज्यादा नमी में यह रोग ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. इसके नियंत्रण के लिए रोगग्रस्त पौधों, खरपतवारों और रोगग्रस्त फसल के भागों को नष्ट कर देना चाहिए. उचित फसल चक्र अपनाना चाहिए. रोग को रोकने के लिए  डाइथेन एम-45 या कैलीक्सिन के 0.2 प्रतिशत घोल का 10-15 दिन के अंतराल पर तीन से चार बार छिड़काव करना लाभकारी होता है.

मटर की उन्नत किस्में

मटर की किस्म समय के अनुसार अलग-अलग पाई जाती है. मटर की अगेती किस्में हैं- एगेटा-6, अर्किल, पंत सब्जी मटर 3 और आजाद पी.3 आदि और मध्यम और पछेती किस्में हैं आजाद पी.1, बोनविले, जवाहर मटर 1, आजाद पी.2.