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फसलों में क्या काम करता है सल्फर, कृषि वैज्ञानिकों ने दी पूरी जानकारी

फसलों में क्या काम करता है सल्फर, कृषि वैज्ञानिकों ने दी पूरी जानकारी

कृषि वैज्ञानिक नेहा चौहान, प्रदीप कुमार, नरेंद्र कुमार, पंकज सूद  और समीर कुमार ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सल्फर की कमी से पौधों के विकास और उपज में कमी आती है.

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जानिए सल्फर के बारे में जानिए सल्फर के बारे में

हाल ही में केंद्र सरकार ने सल्फर कोटेड यूरिया की शुरुआत की है. आखिर क्यों. सल्फर फसलों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और इसकी कमी से क्या नुकसान झेलना पड़ सकता है. ऐसे कई सवाल किसानों के मन में होते हैं. कृषि वैज्ञानिक नेहा चौहान, प्रदीप कुमार, नरेंद्र कुमार, पंकज सूद  और समीर कुमार ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सल्फर की कमी से पौधों के विकास और उपज में कमी आती है. सल्फर की कमी से तिलहनी फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में भी 40 प्रतिशत की कमी हो जाती है. सल्फर की कमी बहुत आम समस्या बनती जा रही है. भारत में 41 प्रतिशत से अधिक जमीन में सल्फर की कमी है.

 तिलहनी फसलें भारतीय आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.भारत में सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, तिल आदि मुख्य तिलहनी फसलें हैं. इन फसलों के लिए संतुलित उर्वरकों का प्रयोग आवश्यक है. इनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, सल्फर, जिंक व बोरॉन तत्व अति आवश्यक हैं. तिलहन को फसलों के उत्पादन के लिए सल्फर एक अत्यंत आवश्यक पोषक तत्व है. इसलिए अगर मृदा स्वास्थ्य कार्ड में सल्फर की कमी का पता चलता है तो इसका इस्तेमाल जरूर करें.

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सल्फर का काम क्या है?

  • सल्फर, क्लोरोफिल का अवयव नहीं है फिर भी यह इसके निर्माण में सहायता करता है. यह पौधे के हरे भाग की अच्छी वृद्धि करता है.
  • यह सल्फरयुक्त अमीनो अम्ल, सिस्टाइन, सिस्टीन और मिथियोनीन तथा प्रोटीन संश्लेषण में आवश्यक है.
  • सरसों के पौधों की विशिष्ट गंध को यह प्रभावित करती है. तिलहनी फसलों के पोषण में सल्फर का विशेष महत्व है.बीजों में तेल बनने की प्रक्रिया में इस तत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
  • तिलहनी फसलों में तैलीय पदार्थ की मात्रा में यह वृद्धि करता है. इसके प्रयोग से बीज बनने की प्रक्रियाओं में तेजी आती है.

फसल में सल्फर कब डालना चाहिए?

फसल को सर्दी से बचाने में भी सल्फर लाभप्रद है. इसलिए सिंचाई के समय सरसों में 5 किलो प्रति बीघा की दर से सल्फर का प्रयोग करना चाहिए. बेन्टोनाइट सल्फर का उपयोग लाभकारी होता है. इसके अलावा 8 से 10 किलोग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ बुरकाव या वेटेबल या घुलनशील सल्फर तीन ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव कर सकते है. सल्फर के छिड़काव के साथ-साथ इल्ली का यदि प्रकोप है तो बेवेरिया बेसियाना 400 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में प्रयोग करें.

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