असम के किसानों ने कमाल कर दिया है. अब यहां के किसानों द्वारा उपजाए गए फ्लैट बींस (उरही) का स्वाद अंग्रेज चखेंगे. क्योंकि शिवसागर जिले के 16 किसानों के एक समूह और तिनसुकिया जिले के कई किसानों ने यूनाइटेड किंडम में 500 किलोग्राम फ्लैट बीन्स और 5000 नींबू (काजी नेमू) का निर्यात किया है. खास बात यह है कि फ्लैट बींस और नींबू की खेप लंदन के न्यू स्पिटलफील्ड्स बाजार में भेजी गई, जो यूरोप में ताजा उपज का एक प्रमुख केंद्र है. यह बाजार अपने महंगे ग्राहकों के लिए जाना जाता है, जो बेहतरीन क्वालिटी के फल और सब्जियां खरीदते हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फ्लैट बींस शिवसागर जिले के निताईपुखुरी में दिहिंगपरिया फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी) के किसानों से आए थे, जबकि तिनसुकिया जिले में विशेष गुणवत्ता वाले नींबू का उत्पादन किया गया था. वहीं, माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर एक पोस्ट में कृषि मंत्री अतुल बोरा ने असम के किसानों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश को संभव बनाने के लिए सफलता का श्रेय मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के मजबूत नेतृत्व को दिया है. मंत्री बोरा ने इस उपलब्धि को हासिल करने में सभी किसानों के सामूहिक प्रयास की सराहना करते हुए शिवसागर जिले के बागवानी और कृषि विभागों के साथ-साथ एफपीसी के अध्यक्ष मंटू सैकिया की सराहना की.
खास बात यह है कि खाद्य निर्यात पहल का नेतृत्व कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने किया था. इस निर्यात से प्रोत्साहित होकर किसान आगामी सीज़न में 100 बीघे में फ्लैट बींस की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं. इस निर्यात की सफलता से असमिया किसानों का मनोबल बढ़ गया है. उन्हें उम्मीद है कि सरकार आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी. इससे राज्य के कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ने की भी संभावना है, जिससे लंबे समय में किसानों को फायदा होगा.
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असम के शिवसागर जिले में फ्लैट बींस की अच्छी पैदावार होती है. लेकिन मार्केट नहीं होने की वजह से किसान सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए ही इसकी खेती करते हैं. लेकिन इस साल बंदरों से परेशान होकर किसानों ने अधिक रकवे में बींस की खेती की थी. किसानों का कहना है कि बंदर सरसों और पत्तेदार सब्जियों को अधिक बर्बाद करते हैं. ऐसे में ऊपरी असम के शिवसागर में किसानों ने फ्लैट बींस की खेती पर फोकस कर दिया. किसानों के अनुसार, बंदर फ्लैट बींस की फसल को उतना अधिक नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इससे उत्पादन अच्छा हो जाता है.
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